केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
MeToo अभियान के तहत आरोप लगने के बाद एमजे अकबर (MJ Akbar) ने विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफा देने के फैसले को केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athawale) ने सही ठहराया. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि विपक्ष उन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा देने के लिए कह रहा था. इस्तीफा देने का उनका फैसला बिल्कुल सही है. उनके ऊपर जो भी आरोप लगे हैं उसकी ठीक से जांच होनी चाहिए. बता दें कि 20 महिला पत्रकारों द्वारा यौन शोषण का आरोप लगने के बाद एमजे अकबर ने बुधवार शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
क्या है मामला
#MeToo अभियान के तहत अभी तक 20 महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर के ऊपर यौन शोषण का आरोप लगाया है. अकबर पर ये सभी मामले 10 से 15 साल पुराने हैं, जब अकबर मीडिया जगत से जुड़े हुए थे. एमजे अकबर ने मामले में सबसे पहले आरोप लगाने वाली प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दर्ज किया हुआ है, मुकदमा लड़ने के लिए उन्होंने करांजावाला लॉ फर्म की मदद ली है.
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अकबर ने आपराधिक मानहानि की धारा IPC 499, 500 के तहत प्रिया रमानी के खिलाफ केस दायर किया है. इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर दो साल तक की सज़ा का प्रावधान है. अकबर ने कोर्ट में दिए अपनी याचिका में कहा कि इससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है.
इससे पहले अठावले ने कहा था कि अगर अकबर दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें केंद्रीय मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा था, अगर कोई महिला का अपमान कर रहा है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. अगर एमजे अकबर एवं नाना पाटेकर जैसी हस्तियां भी दोषी पाई जाएं जो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए.' मंत्री ने कहा, 'अगर कोई दोषी है, तो उस व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए, लेकिन मुझे ऐसी आशंका है कि इस मंच का इस्तेमाल किसी को झूठे मामले में फंसाने के लिए भी किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें : #MeToo: विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने तोड़ी चुप्पी, अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में कही यह बात...
VIDEO : एमजे अकबर ने इस्तीफा दिया
बता दें कि एमजे अकबर को 5 जुलाई 2016 को मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री बनाया गया था. पहले उन्हें झारखंड से राज्यसभा सदस्य बनाया गया था. इसके बाद दोबारा वे मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने. #MeToo के तहत 20 महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. इन महिला पत्रकारों में एक विदेश महिला पत्रकार भी शामिल हैं. भारी दबाव के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
Opposition was asking him to resign on moral grounds. This is a right decision taken by him. The allegations on him should be properly investigated: Union Minister Ramdas Athawale on #MJAkbar resignation pic.twitter.com/Rd3k0wDBrV
— ANI (@ANI) October 17, 2018
क्या है मामला
#MeToo अभियान के तहत अभी तक 20 महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर के ऊपर यौन शोषण का आरोप लगाया है. अकबर पर ये सभी मामले 10 से 15 साल पुराने हैं, जब अकबर मीडिया जगत से जुड़े हुए थे. एमजे अकबर ने मामले में सबसे पहले आरोप लगाने वाली प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दर्ज किया हुआ है, मुकदमा लड़ने के लिए उन्होंने करांजावाला लॉ फर्म की मदद ली है.
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अकबर ने आपराधिक मानहानि की धारा IPC 499, 500 के तहत प्रिया रमानी के खिलाफ केस दायर किया है. इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर दो साल तक की सज़ा का प्रावधान है. अकबर ने कोर्ट में दिए अपनी याचिका में कहा कि इससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है.
इससे पहले अठावले ने कहा था कि अगर अकबर दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें केंद्रीय मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा था, अगर कोई महिला का अपमान कर रहा है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. अगर एमजे अकबर एवं नाना पाटेकर जैसी हस्तियां भी दोषी पाई जाएं जो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए.' मंत्री ने कहा, 'अगर कोई दोषी है, तो उस व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए, लेकिन मुझे ऐसी आशंका है कि इस मंच का इस्तेमाल किसी को झूठे मामले में फंसाने के लिए भी किया जा सकता है.
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VIDEO : एमजे अकबर ने इस्तीफा दिया
बता दें कि एमजे अकबर को 5 जुलाई 2016 को मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री बनाया गया था. पहले उन्हें झारखंड से राज्यसभा सदस्य बनाया गया था. इसके बाद दोबारा वे मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने. #MeToo के तहत 20 महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. इन महिला पत्रकारों में एक विदेश महिला पत्रकार भी शामिल हैं. भारी दबाव के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
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