नई दिल्ली:
बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर संसद में जारी गतिरोध दूर करने के लिए सोमवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक बेनतीजा रही। विपक्ष इस मुद्दे पर वोटिंग के प्रावधान वाले नियम के तहत ही चर्चा कराने की अपनी मांग पर अड़ा रहा और उसने अपनी मांग पर पुनर्विचार करने की केंद्र सरकार की अपील खारिज कर दी।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार हालांकि सोमवार को मजबूत स्थिति में नजर आई, क्योंकि उसके सहयोगियों और यहां तक कि पूर्व संप्रग सदस्य तृणमूल कांग्रेस ने भी कहा कि बहस के नियम पर वे लोकसभा अध्यक्ष द्वारा फैसला लिए जाने के खिलाफ नहीं हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हालांकि मतदान वाले नियम के तहत ही बहस कराने के लिए दबाव डाला। कांग्रेसनीत संप्रग नेता मंगलवार को आगे की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंगे।
संसद भवन में करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने बाहर संवाददाताओं से कहा, "बैठक अच्छी रही। बहुत से सदस्यों ने कहा कि सदन की कार्यवाही चलनी चाहिए.. मैं नियम 184 के तहत चर्चा की मांग करने वाली पार्टियों से अपील करूंगा कि वे अपनी मांग पर पुनर्विचार करें। बैठक में जो भी निकलकर सामने आया, उस बारे में मैं संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को अवगत कराऊंगा।"
वहीं, बैठक से बाहर आने के बाद लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। नियम 184 के तहत चर्चा से कम हमें कुछ भी मंजूर नहीं।"
नियम 184 के तहत चर्चा के बाद वोटिंग का प्रावधान है। खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर सोमवार को लगातार तीसरे दिन संसद की कार्यवाही बाधित हुई।
संप्रग सरकार को समर्थन देने वाली पार्टियों ने हालांकि संकेत दिए कि वे इस मुद्दे पर वोटिंग के प्रावधान वाले नियम के तहत ही चर्चा कराए जाने को लेकर अड़ियल नहीं हैं।
संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मुलायम सिंह यादव ने सर्वदलीय बैठक से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। उन्होंने संकेत दिए कि उनकी पार्टी वोटिंग के तहत ही चर्चा कराए जाने के पक्ष में नहीं है।
सपा नेता रेवती रमन सिंह ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, "हम एफडीआई पर चर्चा चाहते हैं, लेकिन यह किस नियम के तहत हो, इसका निर्णय लोकसभा अध्यक्ष को ही लेना चाहिए।"
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती ने कहा, "हम चाहते हैं कि संसद की कार्यवाही चले। हम एफडीआई पर चर्चा चाहते हैं, लेकिन यह पीठासीन अधिकारी पर छोड़ देना चाहिए कि वह किस नियम के तहत चर्चा कराना चाहता है।"
आश्चर्यजनक रूप से दो दिन पहले सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की असफल कोशिश करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि अध्यक्ष को तय करना चाहिए कि सदन की कार्यवाही कैसे चले।
तृणमूल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी बहस चाहती है, लेकिन मतदान पर अध्यक्ष फैसला ले। इसी मुद्दे पर पार्टी ने सितम्बर में गठबंधन छोड़ दिया था।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने हालांकि कहा कि मतदान के मामले में समझौता नहीं होगा।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार हालांकि सोमवार को मजबूत स्थिति में नजर आई, क्योंकि उसके सहयोगियों और यहां तक कि पूर्व संप्रग सदस्य तृणमूल कांग्रेस ने भी कहा कि बहस के नियम पर वे लोकसभा अध्यक्ष द्वारा फैसला लिए जाने के खिलाफ नहीं हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हालांकि मतदान वाले नियम के तहत ही बहस कराने के लिए दबाव डाला। कांग्रेसनीत संप्रग नेता मंगलवार को आगे की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंगे।
संसद भवन में करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने बाहर संवाददाताओं से कहा, "बैठक अच्छी रही। बहुत से सदस्यों ने कहा कि सदन की कार्यवाही चलनी चाहिए.. मैं नियम 184 के तहत चर्चा की मांग करने वाली पार्टियों से अपील करूंगा कि वे अपनी मांग पर पुनर्विचार करें। बैठक में जो भी निकलकर सामने आया, उस बारे में मैं संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को अवगत कराऊंगा।"
वहीं, बैठक से बाहर आने के बाद लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। नियम 184 के तहत चर्चा से कम हमें कुछ भी मंजूर नहीं।"
नियम 184 के तहत चर्चा के बाद वोटिंग का प्रावधान है। खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर सोमवार को लगातार तीसरे दिन संसद की कार्यवाही बाधित हुई।
संप्रग सरकार को समर्थन देने वाली पार्टियों ने हालांकि संकेत दिए कि वे इस मुद्दे पर वोटिंग के प्रावधान वाले नियम के तहत ही चर्चा कराए जाने को लेकर अड़ियल नहीं हैं।
संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मुलायम सिंह यादव ने सर्वदलीय बैठक से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। उन्होंने संकेत दिए कि उनकी पार्टी वोटिंग के तहत ही चर्चा कराए जाने के पक्ष में नहीं है।
सपा नेता रेवती रमन सिंह ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, "हम एफडीआई पर चर्चा चाहते हैं, लेकिन यह किस नियम के तहत हो, इसका निर्णय लोकसभा अध्यक्ष को ही लेना चाहिए।"
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती ने कहा, "हम चाहते हैं कि संसद की कार्यवाही चले। हम एफडीआई पर चर्चा चाहते हैं, लेकिन यह पीठासीन अधिकारी पर छोड़ देना चाहिए कि वह किस नियम के तहत चर्चा कराना चाहता है।"
आश्चर्यजनक रूप से दो दिन पहले सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की असफल कोशिश करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि अध्यक्ष को तय करना चाहिए कि सदन की कार्यवाही कैसे चले।
तृणमूल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी बहस चाहती है, लेकिन मतदान पर अध्यक्ष फैसला ले। इसी मुद्दे पर पार्टी ने सितम्बर में गठबंधन छोड़ दिया था।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने हालांकि कहा कि मतदान के मामले में समझौता नहीं होगा।
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