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This Article is From Sep 26, 2015

ऊर्जा क्षेत्र की नई चुनौतियां, तकनीक हासिल करना भारत का बड़ा लक्ष्य

ऊर्जा क्षेत्र की नई चुनौतियां, तकनीक हासिल करना भारत का बड़ा लक्ष्य
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमीर देशों से कहा कि उन्हें गरीब और विकासशील देशों को बिजली बनाने के लिए टेक्नोलॉजी देना चाहिए, ताकि यह देश कम प्रदूषण के साथ तरक्की कर सकें। संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री की इस अपील के बाद साफ हो गया कि भारत अमीर देशों पर सौर और पवन ऊर्जा के लिए टेक्नोलॉजी देने का दबाव जारी रखेगा। सोलर और विंड एनर्जी को लेकर भारत का जो टारगेट है उससे पता चलता है कि यह काम कितना कठिन है।  

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 25 गुना आगे बढ़ना चाहता है भारत
सौर और पवन ऊर्जा मिलाकर भारत अभी केवल 28000 मेगावॉट बिजली पैदा करता है। इसमें पवन ऊर्जा करीब 24,000 मेगावॉट है जबकि सौर ऊर्जा का हिस्सा केवल 4000 मेगावॉट। भारत का लक्ष्य है कि वह 2022 तक सौर और पवन ऊर्जा को मिलाकर 1,75,000 मेगावॉट बिजली पैदा करे। यानी सात साल में करीब सवा छह गुना की छलांग। इस 1,75,000 मेगावॉट में से एक लाख मेगावॉट सौर ऊर्जा होगी यानी सौर ऊर्जा के मामले में सरकार 25 गुना की छलांग लगाना चाहती है।

हालांकि सौर ऊर्जा में अभी तक उत्पादन बढ़ाने की रफ्तार बेहद धीमी रही है। पिछले साल ये तय हुआ था कि साल 2015 में 2400 मेगावॉट की बढ़ोतरी की जाएगी जबकि इस साल अगस्त तक सौर ऊर्जा में बढ़ोतरी 880 मेगावॉट की हो पाई।

फिर भी जानकार आशावादी हैं और कहते हैं कि इस लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए अमीर देशों को हमें टेक्वोलॉजी देनी होगी और भारत को अमीर देशों से कम कीमत में इन्टलैक्चुअल प्रापर्टी राइट यानी आईपीआर हासिल करने होंगे।

ग्रामीण इलाकों में माइक्रो ग्रिड पर देना होगा जोर
ग्रीनपीस की कैंपेनर पुजारिनी सेन कहती हैं, 'हम सरकार के लक्ष्य का स्वागत करते हैं लेकिन अगर सरकार का लक्ष्य ‘सबका साथ सबका विकास’ है तो उसे यह भी ध्यान रखना होगा कि गांव के इलाकों में माइक्रो ग्रिड पर जोर देना होगा। हमारे ग्रिड  वैसे भी इस हाल में नहीं हैं कि बिजली के इतने उत्पादन को झेल सकें। इसलिए सरकार को मॉर्डन ग्रिड चाहिए और हमारे बिजली बोर्ड बहुत बदहाल हैं इसलिए उनकी माली हालत ठीक करनी होगी ताकि वे बिजली खरीद सकें।'

ऊर्जा के गैर पारंपरिक तरीके बिजली उत्पादन बढ़ाने और कार्बन इमीशन घटाने में कारगर होंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि सरकार सोलर और विंड एनर्जी को अगले 10 साल में घोषित लक्ष्य से भी कहीं आगे ले जाना चाहती है।

कार्बन इमीशन घटाने के लिए लक्ष्य तय हों
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत 2030 तक अपने कार्बन इमीशन को घटाने के लिए क्या लक्ष्य तय करता है। अमेरिका, चीन और यूरोपीय यूनियन ने इस बारे में घोषणा कर दी है और भारत दुनिया के आगे कार्बन इमीशन को लेकर जो भी रोडमैप रखेगा उससे पता चलेगा कि देश में कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट के मुकाबले कितने सोलर प्लांट लगेंगे और विंग पार्क खुलेंगे।

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