अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल (Daniel Pearl) की पाकिस्तान में हत्या के मुख्य आरोपी ने खुलासा किया है कि उसे मामले में बलि का बकरा बनाया गया है, जबकि असली साजिशकर्ता कराची (Karachi) का एक आतंकवादी है. डेनियल पर्ल के अभिभावकों के वकील ने पत्रकार की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी का हाथ से लिखा एक पत्र पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट (Pak Supreme Court) में पेश किया है. इसमें मुख्य हत्यारोपी ने कहा कि अमेरिका के दबाव में उसे गिरफ्तार किया गया था. जबकि असली षड्यंत्रकर्ता कराची का कुख्यात आतंकवादी है.
यह भी पढ़ें-डेनियल पर्ल मर्डर केस के मुख्य आरोपी की फांसी को 7 साल की जेल में बदला, जल्द हो सकता रिहा
‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के पत्रकार पर्ल (38) का 2002 में पाकिस्तान (Pakistan) में अपहरण के बाद सिर कलम कर दिया गया था. पर्ल खुफिया एजेंसी आईएसआई और अलकायदा के रिश्तों पर एक स्टोरी कर रहे थे. ब्रिटिश मूल के अलकायदा नेता अहमद उमर सईद शेख और उसके तीन सहयोगियों को पर्ल के अपहरण और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और सजा सुनाई गई थी. अप्रैल में सिंध हाईकोर्ट ने उन्हें बरी किया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है.
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की खबर के अनुसार, पर्ल (Daniel Pearl) के माता-पिता के वकील फैजल सिद्दीकी ने कोर्ट में एक हस्तलिखित पत्र पेश किया है. इसमें शेख ने दावा किया है कि असली अपराधी कराची का आतंकवादी अताउर रहमान है. सिद्दीकी ने बताया कि यह पत्र 19 जुलाई 2019 को सिंध हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया गया था.
पत्र को पर्ल हत्या मामले के चार आरोपियों को दोषमुक्त किए जाने के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान पेश किया गया. सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सिंध सरकार और पर्ल (Daniel Pearl) के माता-पिता और अन्य परिजनों की अपीलें सुनीं. सिद्दीकी ने कहा कि पीठ को इस पर विचार करना चाहिए. शीर्ष अदालत 4 जनवरी को निर्णय करेगी. शेख ने अपने पत्र में कहा है कि वह 2002 से मौत की सजा के तहत जेल में है. उसे पर्ल के अपहरण और हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था. हालांकि यह सार्वजनिक रिकॉर्ड पर है कि न तो उसने पर्ल का अपहरण किया था और न ही उसकी हत्या की थी. इसे अमेरिकी सरकार और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपनी पुस्तक में स्वीकार किया है. शेख ने लिखा है कि उसकी भूमिका मामूली थी, उसे फांसी नहीं दी जानी चाहिए थी.
पत्र के अनुसार, अमेरिका द्वारा उस समय (2002 में) पाकिस्तान सरकार पर दबाव इतना अधिक था कि शेख को उस दबाव को कम करने के लिए "बलि के बकरे" के रूप में इस्तेमाल किया गया. शेख ने दावा किया, "मेरे खिलाफ डेनियल पर्ल (Daniel Pearl) के अपहरण और हत्या के लिए दोषी ठहराए जाने के लिए झूठे साक्ष्य गढ़े गए थे. लेकिन असली आरोपी अताउर रहमान की गिरफ्तारी के बावजूद उस पर मुकदमा नहीं चलाया गया. ऐसा करने से झूठे सबूत उजागर हो जाते जिसका इस्तेमाल मुशर्रफ सरकार ने मुझे दोषी ठहराने के लिए किया था." रहमान पर 10 लाख रुपये का इनाम था. शेख ने दावा किया कि रहमान ने रिहाई के कराची में भयंकर हमलों का साजिश रची. इसमें नजीमाबाद में रेंजर्स मुख्यालय को उड़ाना भी शामिल है, जहां उसे गुप्त रूप से रखा गया था।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं