नई दिल्ली:
गौरव गोगोई और सुष्मिता देव, पहली बार सांसद बने। ये दोनों नाम असम से हैं और इन्होंने संसद सत्र में कांग्रेस की ओर से विरोध की कमान संभाल रखी है। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे गौरव ने अपने बेबाक अंदाज़ की बदौलत राहुल गांधी की ही पंक्ति में अपनी जगह फिक्स कर ली, वहीं वरिष्ठ कांग्रेसी संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता ने मीडिया को संभालने के साथ ही लोकसभा में समय-समय पर हंगामा करने की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले रखी है।
ये दोनों ही उन 25 कांग्रेसी सांसदों में शामिल हैं जिन्हें पिछले हफ्ते संसद की कार्यवाही में व्यवधान पैदा करने की वजह से निलंबित कर दिया गया था। एनडीटीवी से बातचीत के दौरान 33 साल के गोगोई की आवाज़ बैठी हुई थी लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भाजपा की ओर से की गई टिप्पणी के खिलाफ आवाज़ उठाने से उन्हें कोई रोक नहीं पा रहा था। कांग्रेस के विरोध को स्पीकर ने 'प्रजातंत्र की हत्या' बताया है लेकिन गोगोई के मुताबिक संसद के काम ना करने के पीछे की वजह विपक्ष नहीं, सरकार है।
42 साल की सुष्मिता देव तो वरिष्ठ सांसदों से भिड़ने में भी पीछे नहीं रहीं, जैसे तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और भाजपा के रमेश बिधुड़ी... जिन पर हाल ही में कांग्रेस के रंजीत रंजन पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कसने का आरोप है। दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से पढ़ीं सुष्मिता के लिए ये मॉनसून सत्र किसी ग्रेजुएशन की परीक्षा से कम नहीं है। संसद की कार्यवाही पर बात करते हुए देव ने कहा कि वह स्पीकर को नहीं सरकार को जिम्मेदार ठहराती हैं।
ये दोनों ही नहीं, केरल से आए वरिष्ठ सासंद के.सुरेश को भी कागज़ों को स्पीकर की कुर्सी की तरफ फेंकते हुए देखा गया। छह बार सासंद रह चुके सुरेश बड़े गर्व से खुद को कांग्रेस का 'सबसे ऊंचा बोलने वाला' प्रदर्शनकारी बताते हैं। उनका कहना है 'मैंने विरोध किया और जब हमारी सरकार थी तब उन लोगों ने भी किया।'
कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन का एजेंडा हर सुबह 10:30 बजे की मीटिंग में तय किया जाता है जिसे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी देखते हैं। इसी बैठक में तय किया जाता है कि विरोध को कितना आगे ले जाना है और कब अपने हाथ पीछे खींचने हैं, मसलन ललित मोदी विवाद पर हंगामे के दौरान 'मोदीगेट' जैसे शब्द को वापस ले लिया गया था।
ये दोनों ही उन 25 कांग्रेसी सांसदों में शामिल हैं जिन्हें पिछले हफ्ते संसद की कार्यवाही में व्यवधान पैदा करने की वजह से निलंबित कर दिया गया था। एनडीटीवी से बातचीत के दौरान 33 साल के गोगोई की आवाज़ बैठी हुई थी लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भाजपा की ओर से की गई टिप्पणी के खिलाफ आवाज़ उठाने से उन्हें कोई रोक नहीं पा रहा था। कांग्रेस के विरोध को स्पीकर ने 'प्रजातंत्र की हत्या' बताया है लेकिन गोगोई के मुताबिक संसद के काम ना करने के पीछे की वजह विपक्ष नहीं, सरकार है।
42 साल की सुष्मिता देव तो वरिष्ठ सांसदों से भिड़ने में भी पीछे नहीं रहीं, जैसे तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और भाजपा के रमेश बिधुड़ी... जिन पर हाल ही में कांग्रेस के रंजीत रंजन पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कसने का आरोप है। दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से पढ़ीं सुष्मिता के लिए ये मॉनसून सत्र किसी ग्रेजुएशन की परीक्षा से कम नहीं है। संसद की कार्यवाही पर बात करते हुए देव ने कहा कि वह स्पीकर को नहीं सरकार को जिम्मेदार ठहराती हैं।
ये दोनों ही नहीं, केरल से आए वरिष्ठ सासंद के.सुरेश को भी कागज़ों को स्पीकर की कुर्सी की तरफ फेंकते हुए देखा गया। छह बार सासंद रह चुके सुरेश बड़े गर्व से खुद को कांग्रेस का 'सबसे ऊंचा बोलने वाला' प्रदर्शनकारी बताते हैं। उनका कहना है 'मैंने विरोध किया और जब हमारी सरकार थी तब उन लोगों ने भी किया।'
कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन का एजेंडा हर सुबह 10:30 बजे की मीटिंग में तय किया जाता है जिसे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी देखते हैं। इसी बैठक में तय किया जाता है कि विरोध को कितना आगे ले जाना है और कब अपने हाथ पीछे खींचने हैं, मसलन ललित मोदी विवाद पर हंगामे के दौरान 'मोदीगेट' जैसे शब्द को वापस ले लिया गया था।
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