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This Article is From May 16, 2021

नालंदा में युवक का शव अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम के कूड़े के ठेले से ले जाया गया

जिला प्रशासन में खलबली, मामले में वार्ड के पार्षद पर दाह संस्कार के नाम पर धोखाधड़ी और ठगी करने का आरोप लगाया गया

नालंदा में युवक का शव अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम के कूड़े के ठेले से ले जाया गया
नालंदा में नगर निगम के कर्मचारी युवक का शव कूड़े के ठेले में रखकर मुक्ति धाम ले गए.
नालंदा:

Bihar Coronavirus: बिहार के नालंदा (Nalanda) में कर्मचारी एम्बुलेंस की जगह नगर निगम के ठेले में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव को मुक्ति धाम लेकर पहुंचे. इस घटना का वीडियो (VIDEO) वायरल होने के बाद जिला प्रशासन में खलबली मच गई है. कोविड काल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 4 मई को लॉकडाउन की घोषणा करने के निर्देश दिया था कि कोरोना पॉजिटिव या संदिग्ध मरीज की मौत होने के बाद अगर परिजन शव का अंतिम संस्कार नहीं करते हैं तो ऐसे शवों का अंतिम संस्कार सरकार अपने खर्च पर कराएगी. मगर नालंदा का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें निगम कर्मी शव को एम्बुलेंस की जगह निगम के कूड़े वाले ठेले से ले जाते दिख रहे हैं. 

हालांकि निगम कर्मी स्वयं पीपीई किट पहने हुए हैं मगर शव को चादर से ढंककर ले जा रहे हैं. इससे यह पता चलता है कि युवक की मौत किसी बीमारी से हुई है, लोग संदिग्ध मानकर उसका अंतिम संस्कार करने से कतरा रहे थे. 

जब इस मामले की पड़ताल की गई तो पता चला कि वीडियो 13 मई का बताया जा रहा है. वीडियो जारी करने वाले युवक ने बताया कि 13 मई को सोहसराय थाना इलाके के जलालपुर मोहल्ले में किराए के मकान पर रह रहे एक युवक मनोज कुमार उर्फ गुड्डू की मौत कोरोना के कारण हो गई. मौत के बाद निगम कर्मियों द्वारा शव को इस तरह ले जाया गया था. 

यह वीडियो वायरल होने के बाद रविवार को जलालपुर सेवा समिति द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस मामले में वार्ड पार्षद द्वारा दाह संस्कार के नाम पर धोखाधड़ी व ठगी करने का आरोप लगाया गया है. मोहल्ला वासियों द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि स्वर्गीय बजरंगी हलवाई के पुत्र मनोज कुमार उर्फ गुड्डू की मौत कोरोना से हुई है. मौत के बाद वार्ड पार्षद द्वारा यह बताया गया कि कोरोना काल में किसी की मौत हो जाने पर अगर उसका अंतिम संस्कार परिजन द्वारा नहीं किया जाता है तो निगम की टीम द्वारा उसका दाह संस्कार किया जाता है. इसके लिए 22 हजार रुपये लगते हैं. काफी देर तक शव मोहल्ले में रहने के कारण मोहल्ला वासियों के प्रयास से मृतक के मामा द्वारा लगभग साढ़े 16 हजार रुपये देने के बाद शव को ठेले से ले जाया गया. 

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वहीं वार्ड पार्षद सुशील कुमार मिठ्ठू ने अपने ऊपर लगाए गए आरोप को निराधार बताया. मामला चाहे जो भी हो मगर इस वैश्विक महामारी के समय शव को नगर निगम के ठेले से ले जाना कहां तक उचित है, यह तो जांच का विषय है. वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन में खलबली मच गई है.

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