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नई दिल्ली: सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण का बिल संसद ने पारित कर दिया है. अब राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है. इस बीच 'यूथ फॉर इक्वालिटी' ने बिल में संशोधन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. उसका कहना है आर्थिक आधार पर आरक्षण सही है मगर यह पचास फीसदी के भीतर ही हो. इस बीच, सरकार का कहना है कि जल्द ही नियम बना दिए जाएंगे कि आरक्षण का दायरा क्या होगा. सरकार ने यह फैसला क्यों किया? क्या उसे इसका सियासी फायदा मिलेगा? सुप्रीम कोर्ट में कानून को चुनौती पर वो क्या करेगी? इन तमाम सवालों के जवाब दिए सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने.