आतंक के आरोपी ने बनाया आधार कार्ड, नांदेड के पार्षद पर मदद का आरोप

मुंबई:

दोहरी पहचान रोकने के लिए बन रही यूनिक आईडी यानी आधार कार्ड में फर्जीवाड़े की खबरें पहले भी आती रही है, लेकिन अब तो आतंक के आरोपी का भी आधार कार्ड बनने लगा है। नांदेड पुलिस ने इस मामले में मदद करने के आरोप में एक पूर्व पार्षद को गिरफ्तार भी किया है।

नांदेड पुलिस के मुताबिक आतंकी संगठन सिमी के फरार आरोपी जाकिर हुसेन ने सादिक खान के नाम से नांदेड में हमिया कॉलोनी के पते पर अपना आधार कार्ड बनवाया है और उस कार्ड को बनवाने में लोकभारती पार्टी के पूर्व पार्षद मोहम्मद मुखीद ने मदद की है।

मुखीद ने अपने लेटर हेड पर लिख कर दिया था कि वह सादिक खान को 10 साल से जानते हैं और वह अच्छा लड़का है। झूठी जानकारी देने के आरोप में अब पुलिस ने पूर्व पार्षद मुखीद को गिरफ्तार कर लिया है।

हालांकि आरोपी पार्षद के वकील सैयद अरिबीदीन का कहना है कि सादिक की नांदेड में ससुराल है। वह अपनी पत्नी और सास के साथ आया था। उनके कहने पर उनके मुवक्कील ने पत्र दे दिया था। उनको उसके बारे में कुछ पता नही था।

अब पार्षद नें जान बूझकर जाकिर की असली पहचान छिपाने में मदद की या वह खुद ही इस्तेमाल हो गए। यूं तो जांच पूरी होने के बाद ही साफ हो पाएगा, लेकिन इस खुलासे के बाद एक बार फिर आधार बनाने की प्रक्रिया पर सवाल उठने लगा है, क्योंकि पहले भी कई बार बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा बड़े पैमाने पर आधार कार्ड बनवाने का खुलासा होता रहा है।

जाकिर का मामला तो और भी गंभीर है, क्योंकि जाकिर हुसेन सिमी के उन 7 खतरनाक आरोपियों में से एक है, जो अक्टूबर 2013 को खंडवा की जेल तोड कर फरार हुए थे। तब से मुंबई सहित पुरे देश में उनकी तलाश की जा रही है।

बताया जाता है कि पिछले एक साल में पुणे, बैंगलुरु, चेन्नई और बिजनौर में हुए धमाके में भी इन्हीं फरार आरोपियों का हाथ है।

महाराष्ट्र एटीएस के चीफ रह चुके केपी रघुवंशी का कहना है कि आतंकी अक्सर अपनी असली पहचान छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का आघार लेते हैं। ऐसे में आधार कार्ड को लेकर खास सावधानी बरतने की जरूरत है। उनका कहना है कि अभी हम जो भी जानकारी और दस्तावेज देते हैं उसी आधार पर कार्ड बन जा रहा है। ऐसे में फर्जीवाड़ा होना बहुत आसान है। इसलिए दी हुई जानकारी और दस्तावेदजों के जांच बहुत जरूरी है। तभी यह किसी नागरिक की दोहरी पहचान को रोकने मे कामयाब हो पाएगा।

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जाहिर है आधार बनाने की प्रक्रिया में सुधार और सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ ऐसे लोगों की सिफारिश करने वाले नेताओं को भी सावधान रहने की जरूरत है।