नई दिल्ली:
श्रम क़ानूनों में बदलावों के ख़िलाफ़ आज देश के 10 ट्रेड यूनियन्स ने हड़ताल पर हैं, जिसका देश के कई हिस्सों में असर दिख रहा है। यूनियनों के हड़ताल पर जाने से पश्चिम बंगाल और केरल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर हड़ताल समर्थकों की पुलिस के साथ झड़प हुई। मुर्शिदाबाद में सीपीएम और तृणमूल समर्थक आपस में ही भिड़ गए। दोनों ओर से जमकर लाठियां भांजी गई।
वहीं, उत्तरी 24 परगना में हाथों में झंडे लिए हड़ताल समर्थक पटरी पर जमा हो गए और ट्रेन को रोक दिया। बाद में पुलिस ने पहुंचकर उन्हें वहां से हटाया। कोलकाता से लगे सोदपुर में भी सीपीएम कार्यकर्ताओं ने ट्रेनों को चलने नहीं दिया। प्रदर्शनकारी ट्रेन इंजन के आगे ही खड़े हो गए और सड़कों पर भी बंद समर्थकों ने ट्रकों को रोक दिया। हड़ताल समर्थकों ने ट्रकों के टायर से हवा भी निकाल दी। इस दौरान हड़ताल समर्थकों की पुलिस से झड़प भी हुई।
कोलकाता में उपनगरीय ट्रेनों पर आंशिक असर देखा गया, जबकि ज्यादातर इलाकों में दुकानें, बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद हैं। राज्य प्रशासन बड़ी संख्या में सार्वजनिक परिवहन की बसें चला रहा है, जबकि निजी बसों व टैक्सियों के परिचालन पर आंशिक असर देखा गया।
उधर, केरल में भी सरकारी और निजी बस सेवाएं, टैक्सी व आटोरिक्शा नहीं चल रहे। केवल कुछ निजी कारें व दोपहिया वाहन सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं। राज्य में दुकानें, होटल और यहां तक कि चाय की दुकानें तक बंद हैं।
कानपुर में भी हड़ताल का असर दिख रहा है। यहां बसें नहीं चल रही हैं और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कर्नाटक में तमिलनाडु जाने वाली वॉल्वो बसों पर पथराव भी किया गया। राज्य में ज़्यादातर स्कूल भी बंद हैं और ऑटो भी बंद हैं। उधर, तेलंगाना में भी हड़ताल के कारण बसें डिपो पर ही खड़ी हैं। बस यूनियन के मुताबिक, लगभग 16000 बसें आज सड़कों पर नहीं उतरी हैं। आंध्र प्रदेश की भी 12000 बसें आज बंद हैं।
दिल्ली से सटे गुड़गांव में भी ट्रेड यूनियनों की बंद का असर दिख रहा है। यहां सुबह से ही रोडवेज यूनियन के सदस्य डिपो में प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारियों ने किसी भी बस को डिपो से निकलने नहीं दिया।
वहीं, दिल्ली में आज ऑटो और टैक्सी चालकों की हड़ताल के कारण भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर ऑटो और टैक्सी के इंतज़ार में लोग खड़े हैं, लेकिन हड़ाताल के कारण उन्हें आने-जाने में मुश्किल हो रही है।
दरअसल, ट्रेड यूनियनों के नुमाइंदो और मंत्री समूह की बैठक बेनतीजा रहने के बाद इस हड़ताल को बुलाने का फैसला किया। इन 10 ट्रेड यूनियनों का दावा है कि देशभर में सरकारी और निजी क्षेत्र में उनके 15 करोड़ सदस्य हैं, जिसमें बैंक और बीमा क्षेत्र के कर्मचारी भी शामिल हैं। इतनी बड़ी तादाद में कर्मचारियों की हड़ताल पर जाने से जरूरी सेवाओं पर असर पड़ने के पहले से ही आसार थे। हालांकि सरकार ने कहा कि आम लोगों पर इस हड़ताल का असर नहीं पड़ेगा। बीजेपी समर्थित ट्रेड यूनियन इस हड़ताल में शामिल नहीं हुई है।
इससे पहले श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा था कि मुझे नहीं लगता कि हड़ताल से आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी। मैं उनसे श्रमिकों व देश हित में हड़ताल वापस लेने की अपील करता हूं। यूनियन नेताओं ने कहा कि हड़ताल से परिवहन, बिजली, गैस और तेल की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी।
12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल का आह्वान किया था। उनकी मांगों में श्रम कानून में प्रस्ताविक श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लेना और सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण रोकना शामिल है।
वहीं, उत्तरी 24 परगना में हाथों में झंडे लिए हड़ताल समर्थक पटरी पर जमा हो गए और ट्रेन को रोक दिया। बाद में पुलिस ने पहुंचकर उन्हें वहां से हटाया। कोलकाता से लगे सोदपुर में भी सीपीएम कार्यकर्ताओं ने ट्रेनों को चलने नहीं दिया। प्रदर्शनकारी ट्रेन इंजन के आगे ही खड़े हो गए और सड़कों पर भी बंद समर्थकों ने ट्रकों को रोक दिया। हड़ताल समर्थकों ने ट्रकों के टायर से हवा भी निकाल दी। इस दौरान हड़ताल समर्थकों की पुलिस से झड़प भी हुई।
कोलकाता में उपनगरीय ट्रेनों पर आंशिक असर देखा गया, जबकि ज्यादातर इलाकों में दुकानें, बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद हैं। राज्य प्रशासन बड़ी संख्या में सार्वजनिक परिवहन की बसें चला रहा है, जबकि निजी बसों व टैक्सियों के परिचालन पर आंशिक असर देखा गया।
उधर, केरल में भी सरकारी और निजी बस सेवाएं, टैक्सी व आटोरिक्शा नहीं चल रहे। केवल कुछ निजी कारें व दोपहिया वाहन सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं। राज्य में दुकानें, होटल और यहां तक कि चाय की दुकानें तक बंद हैं।
कानपुर में भी हड़ताल का असर दिख रहा है। यहां बसें नहीं चल रही हैं और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कर्नाटक में तमिलनाडु जाने वाली वॉल्वो बसों पर पथराव भी किया गया। राज्य में ज़्यादातर स्कूल भी बंद हैं और ऑटो भी बंद हैं। उधर, तेलंगाना में भी हड़ताल के कारण बसें डिपो पर ही खड़ी हैं। बस यूनियन के मुताबिक, लगभग 16000 बसें आज सड़कों पर नहीं उतरी हैं। आंध्र प्रदेश की भी 12000 बसें आज बंद हैं।
दिल्ली से सटे गुड़गांव में भी ट्रेड यूनियनों की बंद का असर दिख रहा है। यहां सुबह से ही रोडवेज यूनियन के सदस्य डिपो में प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारियों ने किसी भी बस को डिपो से निकलने नहीं दिया।
वहीं, दिल्ली में आज ऑटो और टैक्सी चालकों की हड़ताल के कारण भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर ऑटो और टैक्सी के इंतज़ार में लोग खड़े हैं, लेकिन हड़ाताल के कारण उन्हें आने-जाने में मुश्किल हो रही है।
दरअसल, ट्रेड यूनियनों के नुमाइंदो और मंत्री समूह की बैठक बेनतीजा रहने के बाद इस हड़ताल को बुलाने का फैसला किया। इन 10 ट्रेड यूनियनों का दावा है कि देशभर में सरकारी और निजी क्षेत्र में उनके 15 करोड़ सदस्य हैं, जिसमें बैंक और बीमा क्षेत्र के कर्मचारी भी शामिल हैं। इतनी बड़ी तादाद में कर्मचारियों की हड़ताल पर जाने से जरूरी सेवाओं पर असर पड़ने के पहले से ही आसार थे। हालांकि सरकार ने कहा कि आम लोगों पर इस हड़ताल का असर नहीं पड़ेगा। बीजेपी समर्थित ट्रेड यूनियन इस हड़ताल में शामिल नहीं हुई है।
इससे पहले श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा था कि मुझे नहीं लगता कि हड़ताल से आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी। मैं उनसे श्रमिकों व देश हित में हड़ताल वापस लेने की अपील करता हूं। यूनियन नेताओं ने कहा कि हड़ताल से परिवहन, बिजली, गैस और तेल की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी।
12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल का आह्वान किया था। उनकी मांगों में श्रम कानून में प्रस्ताविक श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लेना और सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण रोकना शामिल है।
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