प्रतिकात्मक फोटो
कानपुर:
एक युवती से बलात्कार के मामले में कानपुर की स्थानीय अदालत ने एक मंदिर के पुजारी को दस साल की कैद और पचास हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि पुजारी जैसे प्रतिष्ठित पद पर बैठे व्यक्ति पर ऐसे अपराध के लिए रहम नहीं किया जा सकता है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार रायबरेली जिले की एक लड़की पढ़ाई के सिलसिले में 2010 में शहर आई थी। युवती ने 17 अक्टूबर 2014 को शहर के फीलखाना थाने में पुजारी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। लड़की का आरोप था कि यहां रहते हुए उसकी मुलाकात खेरेपति मंदिर के पुजारी महेंन्द्र दीक्षित से हुई। पुजारी ने उसे नौकरी दिलाने और मदद करने का आश्वासन दिया और उसकी मजबूरी का फायदा उठाकर उसका करीब तीन साल तक शारीरिक शोषण किया। बाद में उसने शारीरिक शोषण से परेशान होकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद पुजारी दीक्षित को गिरफ्तार कर लिया गया था ।
युवती के पास अपने मामले की पैरवी करने के लिये कोई वकील न होने पर जिलाधिकारी ने एक वकील की नियुक्ति की थी ।
विशेष अभियोजन अधिकारी के के शुक्ल और करीम अहमद ने बताया कि फास्ट ट्रैक कोर्ट की जज ने पुजारी को दस साल की सश्रम कैद व पचास हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार न्यायालय ने पुजारी की रहम की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि उसने मंदिर जैसे पवित्र स्थान के पुजारी जैसे महत्तवपूर्ण पद का दुरुपयोग किया है इसलिए वह रहम का कतई हकदार नहीं है। सजा सुनाए जाने के बाद पुजारी को जेल भेज दिया गया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अभियोजन पक्ष के अनुसार रायबरेली जिले की एक लड़की पढ़ाई के सिलसिले में 2010 में शहर आई थी। युवती ने 17 अक्टूबर 2014 को शहर के फीलखाना थाने में पुजारी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। लड़की का आरोप था कि यहां रहते हुए उसकी मुलाकात खेरेपति मंदिर के पुजारी महेंन्द्र दीक्षित से हुई। पुजारी ने उसे नौकरी दिलाने और मदद करने का आश्वासन दिया और उसकी मजबूरी का फायदा उठाकर उसका करीब तीन साल तक शारीरिक शोषण किया। बाद में उसने शारीरिक शोषण से परेशान होकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद पुजारी दीक्षित को गिरफ्तार कर लिया गया था ।
युवती के पास अपने मामले की पैरवी करने के लिये कोई वकील न होने पर जिलाधिकारी ने एक वकील की नियुक्ति की थी ।
विशेष अभियोजन अधिकारी के के शुक्ल और करीम अहमद ने बताया कि फास्ट ट्रैक कोर्ट की जज ने पुजारी को दस साल की सश्रम कैद व पचास हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार न्यायालय ने पुजारी की रहम की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि उसने मंदिर जैसे पवित्र स्थान के पुजारी जैसे महत्तवपूर्ण पद का दुरुपयोग किया है इसलिए वह रहम का कतई हकदार नहीं है। सजा सुनाए जाने के बाद पुजारी को जेल भेज दिया गया है।
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