प्रतीकात्मक फोटो
पटना:
बिहार में पुलिस और उत्पाद शुल्क विभाग में इस बात का श्रेय लेने की होड़ लगी है कि राज्य में शराब बंदी के बाद कौन ज्यादा सक्रिय है. जहां एक और बिहार पुलिस ने चार महीने के आंकड़ों को आधार बनाकर दावा कर दिया कि राज्य में अपराध में पांच प्रतिशत की कमी आई, वहीं उत्पाद शुल्क विभाग ने दावा किया है कि चार माह में राज्य में अब तक 13839 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह देश में किसी भी राज्य में चार माह के दौरान किसी एक अपराध में गिरफ्तार लोगों की संख्या का अब तक का एक रिकॉर्ड है.
हालांकि उत्पाद विभाग के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मलेन में माना कि इसमें से 5990 लोगों को जमानत भी मिल चुकी है. सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां अगस्त महीने में 4167 लोगों की हुईं. सबसे कम 1281 लोग अप्रैल में गिरफ्तार हुए थे. जमानत सबसे ज्यादा जुलाई महीने में 2331 लोगों की हुई जबकि इस माह में 3324 लोग गिरफ्तार हुए थे.
बिहार सरकार के इस नशा मुक्ति अभियान के तहत 85 हजार से अधिक छापामारी की गई हैं. करीब 92 हजार लीटर देशी शराब बरामद हुई, जबकि 11 हजार लीटर से अधिक विदेशी शराब की बरामदगी की गई. हालांकि विभाग का मनना है कि कई लोग जिनकी गिरफ्तारी हुई वे थाने से भी जमानत पर रिहा हो गए. काम में शिथिलता के आधार पर विभाग ने अपने आठ कर्मचारियों को बर्खास्त भी किया है, लेकिन आसानी से जमानत न मिले इसके लिए विभाग ने दावा किया है कि हर जिले में दो वकील केवल विभाग के मामले देखेंगे.
निश्चित रूप से यह आंकड़े विभाग के लिए उत्साहवर्धक हों, लेकिन नीतीश सरकार की इस मामले पर कानून के कारण, खासकर कुछ बंदिशों को लेकर पूरे देश में जमकर खिंचाई हुई है. इसमें वह प्रतिबंध भी शामिल है जिसके तहत किसी के घर में शराब पाए जाने पर उस घर के वयस्क लोगों पर इसकी जिम्मेदारी बनेगी और अगर किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली तो सभी की गिरफ्तारी हो सकती है. हालांकि नीतीश कुमार ने सफाई दी है कि खून की जांच से भी इसका समाधान निकाला जा सकता है. फिलहाल बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों से पारित यह नया कानून राज्यपाल के पास है.
बिहार में नए उत्पाद अधिनियम के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय भी आने वाले दिनों में फैसला दे सकता है. राज्य सरकार को आशंका है कि यह मामला आने वाले दिनों में सर्वोच्च न्यायालय तक जाएगा. लेकिन राज्य सरकार इस मुद्दे पर खासकर ग्रामीण इलाकों में इसके अच्छे परिणाम को लेकर अब अपने कदम नहीं खींचना चाहती. हालांकि यह भी सच है कि वह चाहे देशी हो या विदेशी सभी तरह की शराब राज्य में महंगे दामों पर लोगों को उपलब्ध है. इसका एक प्रमाण है पिछले दिनों गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से हुई 19 लोगों की मौत की घटना. इसे स्थानीय पुलिस ने शुरू में दबाने की कोशिश की लेकिन अब एफएसएल की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो गई है कि लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई.
हालांकि उत्पाद विभाग के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मलेन में माना कि इसमें से 5990 लोगों को जमानत भी मिल चुकी है. सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां अगस्त महीने में 4167 लोगों की हुईं. सबसे कम 1281 लोग अप्रैल में गिरफ्तार हुए थे. जमानत सबसे ज्यादा जुलाई महीने में 2331 लोगों की हुई जबकि इस माह में 3324 लोग गिरफ्तार हुए थे.
बिहार सरकार के इस नशा मुक्ति अभियान के तहत 85 हजार से अधिक छापामारी की गई हैं. करीब 92 हजार लीटर देशी शराब बरामद हुई, जबकि 11 हजार लीटर से अधिक विदेशी शराब की बरामदगी की गई. हालांकि विभाग का मनना है कि कई लोग जिनकी गिरफ्तारी हुई वे थाने से भी जमानत पर रिहा हो गए. काम में शिथिलता के आधार पर विभाग ने अपने आठ कर्मचारियों को बर्खास्त भी किया है, लेकिन आसानी से जमानत न मिले इसके लिए विभाग ने दावा किया है कि हर जिले में दो वकील केवल विभाग के मामले देखेंगे.
निश्चित रूप से यह आंकड़े विभाग के लिए उत्साहवर्धक हों, लेकिन नीतीश सरकार की इस मामले पर कानून के कारण, खासकर कुछ बंदिशों को लेकर पूरे देश में जमकर खिंचाई हुई है. इसमें वह प्रतिबंध भी शामिल है जिसके तहत किसी के घर में शराब पाए जाने पर उस घर के वयस्क लोगों पर इसकी जिम्मेदारी बनेगी और अगर किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली तो सभी की गिरफ्तारी हो सकती है. हालांकि नीतीश कुमार ने सफाई दी है कि खून की जांच से भी इसका समाधान निकाला जा सकता है. फिलहाल बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों से पारित यह नया कानून राज्यपाल के पास है.
बिहार में नए उत्पाद अधिनियम के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय भी आने वाले दिनों में फैसला दे सकता है. राज्य सरकार को आशंका है कि यह मामला आने वाले दिनों में सर्वोच्च न्यायालय तक जाएगा. लेकिन राज्य सरकार इस मुद्दे पर खासकर ग्रामीण इलाकों में इसके अच्छे परिणाम को लेकर अब अपने कदम नहीं खींचना चाहती. हालांकि यह भी सच है कि वह चाहे देशी हो या विदेशी सभी तरह की शराब राज्य में महंगे दामों पर लोगों को उपलब्ध है. इसका एक प्रमाण है पिछले दिनों गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से हुई 19 लोगों की मौत की घटना. इसे स्थानीय पुलिस ने शुरू में दबाने की कोशिश की लेकिन अब एफएसएल की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो गई है कि लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई.
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