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This Article is From Feb 17, 2014

संसद में आज पेश होगा तेलंगाना बिल, आंध्र के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी दे सकते हैं इस्तीफा

संसद में आज पेश होगा तेलंगाना बिल, आंध्र के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी दे सकते हैं इस्तीफा
नई दिल्ली:

आगामी आम चुनाव से पहले संसद के इस अंतिम सत्र में अब बस पांच दिन बचे हैं और ऐसे में केंद्र सरकार विवादास्पद तेलंगाना विधेयक को किसी भी तरह संसद से पास कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।

एनडीटीवी को सूत्रों से पता चला है कि तेलंगाना बिल आज संसद में पेश किया जाएगा और सरकार इसे पास कराने को लेकर प्रतिबद्ध है। सूत्रों ने बताया कि सदन में विरोध प्रदर्शन के चलते अगर इस विधेयक पर चर्चा नहीं भी हो पाती है, तो भी सरकार इसे पास कराएगी।

हालांकि सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है, क्योंकि अब तक इस विधेयक पर कांग्रेस नीत केंद्र सरकार का समर्थन कर रही मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने साफ कर दिया है कि सरकार सदन में सभी हितधारकों की गैरमौजूदगी और हंगामें के बीच इस विधेयक को पास करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने तेलंगाना गठन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के चलते संसद से निलंबित किए गए सभी 16 सांसदों को नए राज्य की गठन की चर्चा में शामिल होने की अनुमित दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश का एक धड़ा इससे गायब नहीं रह सकता।

गौरतलब है कि तेलंगाना गठन का विरोध कर रहे सीमांध्र के लोगों की चिंता यह है कि नए राज्य के गठन के बाद बिजली, पानी और राजस्व का बहुत छोटा सा हिस्सा ही उन्हें मिल पाएगा। इस वजह से इस क्षेत्र के तमाम नेता इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। इन्हीं में से एक राज्य के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी भी हैं, जिनके बारे में सूत्रों से पता चला है कि वह राज्य के बंटवारे के विरोध में मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

वहीं इस बिल के विरोध में सोमवार को संसद तक मार्च करने की कोशिश कर रहे तेलंगाना विरोधी नेता जगनमोहन रेड्डी और उनके समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।

राज्य के विभाजन के विरोध में धरना दे रहे वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर राजनीतिक लाभ के लिए राज्य को बांटने का आरोप लगाया। जंतर मंतर पर अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठे जगन ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ राज्य को विभाजित करने का विचार पेश किया, क्योंकि उसे उम्मीद है कि तेलंगाना में टीआरएस के सहयोग से वह कुछ सीटें जीत सकता है।

सोनिया गांधी के इतालवी मूल का संदर्भ देते हुए जगन मोहन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 'इतालवी राष्ट्रीय कांग्रेस' करार दिया और कहा "यहां तक कि अंग्रेजों ने भी वह नहीं किया, जो उन्होंने मेरे आंध्र प्रदेश राज्य में किया। उन्होंने कहा कि राज्य के विभाजन के विरोध में कांग्रेस के एक सांसद द्वारा संसद में काली मिर्च के पाउडर का उपयोग किया जाना वास्तव में सीमांध्र के सांसदों को निलंबित करने के लिए कांग्रेस का षडयंत्र था।

जगन मोहन रेड्डी ने आरोप लगाया, हंगामे के पीछे कांग्रेस का हाथ था। उन्होंने इसकी साजिश रची थी। उन्हें यह अच्छी तरह पता है कि व्यवहारिक तौर पर उन्हें सफलता नहीं मिलने वाली है, इसलिए उन्होंने यह किया। चुनाव से महीनों पहले उन्होंने मेरे राज्य को तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अपनी आवाज उठाने के लिए सीमांध्र के सांसदों को अलोकतांत्रिक तरीके से निलंबित कर दिया गया। सत्तारूढ़ दल तेलंगाना के गठन के लिए विधेयक को बिना बहस कराए पारित करना चाहता था।

वाईएसआर कांग्रेस के नेता ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि वह आंध्रप्रदेश को एकीकृत रखने में हमारी मदद करने वाले किसी भी नेता का समर्थन करने को तैयार हैं, और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी इसमें अपवाद नहीं हैं। इसके अलावा जगन ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात कर राज्य को एकीकृत रखने के लिए उनका समर्थन मांगा है।

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