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This Article is From Feb 14, 2021

'जिन्होंने जिंदगी भर खिलाया, हम उनके साथ; महात्मा गांधी की 87 वर्षीय पोती का किसान आंदोलन को समर्थन 

उन्होंने सीधे किसानों से कहा कि आपकी वजह से हम जिंदा हैं. किसान के हित में ही देश का हित है, और हमारा हित है. तारा गांधी ने कहा कि यह क्रांति की धरती हैय बता दें कि देश की आजादी के लिए पहली क्रांति 1857 में मेरठ से ही हुई थी. बापू की पोती ने कहा कि इतने दिनों से चल रहा किसानों का आंदोलन अद्भुत है.

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'जिन्होंने जिंदगी भर खिलाया, हम उनके साथ; महात्मा गांधी की 87 वर्षीय पोती का किसान आंदोलन को समर्थन 
तारा गांधी ने किसानों से शांतिपूर्वक आंदोलन चलाने की अपील करते हुए कहा कि मैं यहां तुम्हारे लिए प्रार्थना करने आई हूं.
नई दिल्ली:

महात्मा गांधी की पोती और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की अध्यक्ष वयोवृद्ध तारा गांधी भट्टाचार्य किसान आंदोलन (Farmers Protest) को समर्थन देने शनिवार को दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचीं थीं. तारा गांधी ने किसानों से शांतिपूर्वक आंदोलन चलाने की अपील करते हुए कहा कि मैं यहां तुम्हारे लिए प्रार्थना करने आई हूं. उन्होंने कहा कि हम गांधी संस्थान से जुड़े हैं. हम गाजीपुर बॉर्डर पर किसी राजनीतिक दल के लिए कतई नहीं आए, हम आज यहां उन किसानों के लिए आए हैं जिन्होंने जिंदगी भर हमें खिलाया है. 

उन्होंने सीधे किसानों से कहा कि आपकी वजह से हम जिंदा हैं. किसान के हित में ही देश का हित है, और हमारा हित है. तारा गांधी ने कहा कि यह क्रांति की धरती हैय बता दें कि देश की आजादी के लिए पहली क्रांति 1857 में मेरठ से ही हुई थी. बापू की पोती ने कहा कि इतने दिनों से चल रहा किसानों का आंदोलन अद्भुत है.

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उन्होंने कहा, "वयोवृद्ध अवस्था में यहां आपके (किसानों) लिए प्रार्थना करने आई हूं. मैं चाहती हूं कि जो भी हो, जैसे भी हो, किसानों का भला होना चाहिए. किसानों की तपस्या किसी से छिपी नहीं है और यह बात भी किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि किसान हित में ही देश का हित है और देश का हित, हम सबका हित है. इसलिए सरकार किसानों के हितों का ध्यान रखे और इतने दिनों से दिल्ली की दहलीज पर पड़े अन्नदाताओं की सुध ले." 

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उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों को हिंसा की भाषा की आवश्यकता नहीं है. इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने तारा गांधी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान ढाई महीने से ज्यादा वक्त से आंदोलन कर रहे हैं. किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर इकट्ठा होकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

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