सुब्रमण्यम स्वामी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी जिस तरह एक के बाद एक नौकरशाहों पर निशाना साध रहे हैं उसके बाद सवाल पूछा जा रहा है कि क्या यह सारी कवायद रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई के अगले गवर्नर पद को लेकर है। बीजेपी के कुछ नेताओं का मानना है कि स्वामी का यह पूरा अभियान दरअसल एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश है। एक तरफ तो वे वित्त मंत्री अरुण जेटली से अपना पुराना हिसाब चुकाना चाहते हैं, दूसरी तरफ अपनी पसंद के व्यक्ति को आरबीआई का गवर्नर बनवाना चाहते हैं।
यही वजह है कि रघुराम राजन के उत्तराधिकारी के लिए जो-जो नाम चर्चा में आए, उन पर स्वामी एक-एक कर निशाना साध रहे हैं। वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के बाद स्वामी ने अब आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास को भी लपेटे में ले लिया है।
कुछ बीजेपी नेताओं का कहना है कि स्वामी चाहते हैं कि आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर आर वैद्यनाथन को सरकार आरबीआई का अगला गवर्नर बनाए। ऐसा करने के लिए यह जरूरी है कि जो-जो दावेदार हैं, उनके खिलाफ आरोप लगाए जाएं और उनके पुराने किस्से सामने लाए जाएं, ताकि उनकी दावेदारी कमजोर पड़ सके। हालांकि ऐसा वाकई हो पाएगा, यह यकीन कर पाना बहुत मुश्किल है।
कौन हैं प्रोफेसर वैद्यनाथन
आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर आर वैद्यनाथन सुब्रमण्यम स्वामी के बेहद करीबी हैं। उनकी आरएसएस के करीबी माने जाने वाले चेन्नई के चार्टर्ड एकाउंटेंट एस गुरुमूर्ति से भी नजदीकी है। बीजेपी मार्गदर्शक मंडल के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जब 2009 के लोक सभा चुनावों से पहले विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने का मुद्दा उठाया था, तब इसके पीछे प्रोफेसर वैद्यनाथन ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
प्रोफेसर वैद्यनाथन इस मुद्दे पर बीजेपी की ओर से बनाई गई टास्क फोर्स के भी सदस्य थे। इस चार सदस्यीय टास्क फोर्स में वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, एस गुरुमूर्ति और वकील महेश जेठमलानी भी शामिल थे। इस टास्क फ़ोर्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारतीयों का विदेशों में जमा काला धन 25 लाख करोड़ रुपये है। यह बात अलग है कि किसी सरकार ने इस आंकड़े को नहीं माना और अब जबकि बीजेपी खुद सत्ता में है, उससे पूछा जाता है कि काले धन को लाने के वादे पर क्या हुआ।
इस टास्क फोर्स की रिपोर्ट ने आडवाणी को परेशानी में भी डाल दिया था क्योंकि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगनी पड़ी थी। दरअसल इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि सोनिया गांधी के भी विदेशी बैंकों में खाते हैं। इस पर सोनिया गांधी ने लाल कृष्ण आडवाणी को पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी। बाद में आडवाणी ने सोनिया को पत्र लिखकर इसके लिए माफी मांगी थी।
वैद्यनाथन की निजी वेबसाइट पर रघुराम राजन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी सुब्रमण्यम स्वामी की चिट्ठी प्रमुखता से लगाई गई है। इस चिट्ठी में स्वामी ने आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं। स्वामी राजन के खिलाफ तीन चिट्ठियां पीएम को लिख चुके हैं।
वैद्यनाथन का संक्षिप्त परिचय
वैद्यनाथन अपना परिचय आर्थिक विशेषज्ञ के तौर पर देते हैं। वेबसाइट कहती है कि वे अध्यापन के अलावा परामर्श भी देते हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय, वर्ल्ड बैंक, गोल्डमैन शैक्स और कई बड़े बैंकों के परामर्शदाता के तौर पर काम किया है। इसके अलावा वे सेबी, आरबीआई और वित्त मंत्रालय की कुछ समितियों के भी सदस्य हैं। वे काले धन पर एक किताब भी लिख रहे हैं। उनकी वेबसाइट कहती है वे एक ऐसे अध्यापक हैं जिसकी दिलचस्पी सीखने में है।
यही वजह है कि रघुराम राजन के उत्तराधिकारी के लिए जो-जो नाम चर्चा में आए, उन पर स्वामी एक-एक कर निशाना साध रहे हैं। वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के बाद स्वामी ने अब आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास को भी लपेटे में ले लिया है।
कुछ बीजेपी नेताओं का कहना है कि स्वामी चाहते हैं कि आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर आर वैद्यनाथन को सरकार आरबीआई का अगला गवर्नर बनाए। ऐसा करने के लिए यह जरूरी है कि जो-जो दावेदार हैं, उनके खिलाफ आरोप लगाए जाएं और उनके पुराने किस्से सामने लाए जाएं, ताकि उनकी दावेदारी कमजोर पड़ सके। हालांकि ऐसा वाकई हो पाएगा, यह यकीन कर पाना बहुत मुश्किल है।
कौन हैं प्रोफेसर वैद्यनाथन
आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर आर वैद्यनाथन सुब्रमण्यम स्वामी के बेहद करीबी हैं। उनकी आरएसएस के करीबी माने जाने वाले चेन्नई के चार्टर्ड एकाउंटेंट एस गुरुमूर्ति से भी नजदीकी है। बीजेपी मार्गदर्शक मंडल के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जब 2009 के लोक सभा चुनावों से पहले विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने का मुद्दा उठाया था, तब इसके पीछे प्रोफेसर वैद्यनाथन ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
प्रोफेसर वैद्यनाथन इस मुद्दे पर बीजेपी की ओर से बनाई गई टास्क फोर्स के भी सदस्य थे। इस चार सदस्यीय टास्क फोर्स में वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, एस गुरुमूर्ति और वकील महेश जेठमलानी भी शामिल थे। इस टास्क फ़ोर्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारतीयों का विदेशों में जमा काला धन 25 लाख करोड़ रुपये है। यह बात अलग है कि किसी सरकार ने इस आंकड़े को नहीं माना और अब जबकि बीजेपी खुद सत्ता में है, उससे पूछा जाता है कि काले धन को लाने के वादे पर क्या हुआ।
इस टास्क फोर्स की रिपोर्ट ने आडवाणी को परेशानी में भी डाल दिया था क्योंकि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगनी पड़ी थी। दरअसल इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि सोनिया गांधी के भी विदेशी बैंकों में खाते हैं। इस पर सोनिया गांधी ने लाल कृष्ण आडवाणी को पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी। बाद में आडवाणी ने सोनिया को पत्र लिखकर इसके लिए माफी मांगी थी।
राजन के मुद्दे को दी हवा
वैद्यनाथन की निजी वेबसाइट पर रघुराम राजन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी सुब्रमण्यम स्वामी की चिट्ठी प्रमुखता से लगाई गई है। इस चिट्ठी में स्वामी ने आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं। स्वामी राजन के खिलाफ तीन चिट्ठियां पीएम को लिख चुके हैं।
वैद्यनाथन का संक्षिप्त परिचय
वैद्यनाथन अपना परिचय आर्थिक विशेषज्ञ के तौर पर देते हैं। वेबसाइट कहती है कि वे अध्यापन के अलावा परामर्श भी देते हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय, वर्ल्ड बैंक, गोल्डमैन शैक्स और कई बड़े बैंकों के परामर्शदाता के तौर पर काम किया है। इसके अलावा वे सेबी, आरबीआई और वित्त मंत्रालय की कुछ समितियों के भी सदस्य हैं। वे काले धन पर एक किताब भी लिख रहे हैं। उनकी वेबसाइट कहती है वे एक ऐसे अध्यापक हैं जिसकी दिलचस्पी सीखने में है।
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