सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एसवाईएल यानी सतलुज-यमुना लिंक नहर मामले में अब सुप्रीम कोर्ट प्रेसिडेंशियल रिफरेंस पर सुनवाई करेगा। मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी। हरियाणा सरकार अदालत में अपना पक्ष रखेगी। इस मामले में संविधान पीठ ने केंद्र से पूछा कि क्या पंजाब और हरियाणा के बीच सब ठीक है। इस पर केंद्र की ओर से कहा गया कि सब ठीक है और यथास्थिति बरकरार है।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि प्रेसिडेंशियल रिफरेंस में जो सवाल है उनमें से सबसे अहम पहला सवाल है जिसमें पूछा गया है कि क्या पंजाब सरकार का 2004 का एक्ट संवैधानिक था या नहीं? कोर्ट ने कहा कि अगर पहला जवाब नेगेटिव जाता है तो बाकी के सवालों के जवाब की जरूरत नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने पंजाब सरकार की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें राज्य सरकार ने मांग की थी कि प्रेसिडेंशियल रिफरेंस को लेकर केंद्र सरकार अपना पक्ष सबसे पहले रखे। पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया कि यह केवल पानी के बंटवारे का मामला नहीं है। पूरे रिफरेंस में पॉलिसी डिसीजन भी शामिल है। इसलिए इसमें हम केंद्र सरकार का स्टैंड जानना चाहते हैं।
संवैधानिक पीठ ने कहा कि पहले पंजाब फिर हरियाणा और आखिरी में केंद्र सरकार अपना पक्ष रखे। कोर्ट ने कहा आप लोग हमें असिस्ट करने के लिए हैं। इसके बाद पंजाब सरकार ने कहा कि सवाल का जवाब केंद्र सरकार से निकलेगा। इस पर संवैधानिक पीठ ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप लोग केवल हमें असिस्ट करोगे। सवाल का जवाब हम देंगे।
इसके बाद संवैधानिक पीठ ने हरियाणा सरकार से कहा कि वह हमें असिस्ट करे। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट का कोई ऐसा फैसला है जो प्रेसिडेंशियल रिफरेंस पर आधारित हो। हरियाणा सरकार ने कहा कि 1996 में कावेरी जल बंटवारे को लेकर प्रेसिडेंशियल रिफरेंस सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के सामने आया था जिस पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का फैसला है। इसके अलावा 2014 में मुल्लापेरियार बांध को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का फैसला है। हरियाणा सरकार अपना पक्ष शुक्रवार को भी रखेगी।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि प्रेसिडेंशियल रिफरेंस में जो सवाल है उनमें से सबसे अहम पहला सवाल है जिसमें पूछा गया है कि क्या पंजाब सरकार का 2004 का एक्ट संवैधानिक था या नहीं? कोर्ट ने कहा कि अगर पहला जवाब नेगेटिव जाता है तो बाकी के सवालों के जवाब की जरूरत नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने पंजाब सरकार की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें राज्य सरकार ने मांग की थी कि प्रेसिडेंशियल रिफरेंस को लेकर केंद्र सरकार अपना पक्ष सबसे पहले रखे। पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया कि यह केवल पानी के बंटवारे का मामला नहीं है। पूरे रिफरेंस में पॉलिसी डिसीजन भी शामिल है। इसलिए इसमें हम केंद्र सरकार का स्टैंड जानना चाहते हैं।
संवैधानिक पीठ ने कहा कि पहले पंजाब फिर हरियाणा और आखिरी में केंद्र सरकार अपना पक्ष रखे। कोर्ट ने कहा आप लोग हमें असिस्ट करने के लिए हैं। इसके बाद पंजाब सरकार ने कहा कि सवाल का जवाब केंद्र सरकार से निकलेगा। इस पर संवैधानिक पीठ ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप लोग केवल हमें असिस्ट करोगे। सवाल का जवाब हम देंगे।
इसके बाद संवैधानिक पीठ ने हरियाणा सरकार से कहा कि वह हमें असिस्ट करे। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट का कोई ऐसा फैसला है जो प्रेसिडेंशियल रिफरेंस पर आधारित हो। हरियाणा सरकार ने कहा कि 1996 में कावेरी जल बंटवारे को लेकर प्रेसिडेंशियल रिफरेंस सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के सामने आया था जिस पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का फैसला है। इसके अलावा 2014 में मुल्लापेरियार बांध को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का फैसला है। हरियाणा सरकार अपना पक्ष शुक्रवार को भी रखेगी।
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