सुषमा स्वराज का ऐतिहासिक भाषण: 'हमें धर्मनिरपेक्षता की ये परिभााषा मान्य नहीं, चाहे सरकार रहे या जाए'- देखें VIDEO

हम आपको सुनाते हैं वर्ष 1996 का विश्वासमत के दौरान सुषमा स्वराज के भाषण का एक हिस्सा, जिसमें वो धारा 370 का जिक्र करते हुए कहती हैं कि इसकी मांग करने के कारण बीजेपी को सांप्रदायिक कहा जाता है.

खास बातें

  • साल 1996 में दिया था भाषण
  • विश्वासमत के दौरान दिया था भाषण
  • कांग्रेस और सपा पर बोला था हमला
नई दिल्ली:

मंगलवार को पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता  सुषमा स्वराज  के निधन से पहले लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास हुआ. अब इसमें अनुच्छेद 370 की सिर्फ एक धारा बच गई है. सुषमा स्वराज ने निधन से पहले ट्वीट पीएम नरेंद्र मोदी को इसके लिए बधाई दी थी. लेकिन मंगलवार शाम को सुषमा स्वराज के निधन की खबर आई और पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का साल 2016 में गुर्दा प्रतिरोपित किया गया था और स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था. खबरों के अनुसार, आज दोपहर 3 बजे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. हम आपको सुनाते हैं वर्ष 1996 का विश्वासमत के दौरान सुषमा स्वराज के भाषण का एक हिस्सा, जिसमें वो धारा 370 का जिक्र करते हुए कहती हैं कि इसकी मांग करने के कारण बीजेपी को सांप्रदायिक कहा जाता है.

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सुषमा स्वराज ने 11 जून 1996 को लोकसभा में भाषण दिया था. उन्होंने विश्वासमत का विरोध करने के लिए खड़ी हुई जनादेश की व्याख्या से भाषण की शुरुआत की थी. उन्होंने अपने भाषण में कहा था, " मैं विश्वासमत का विरोध करने के लिए खड़ी हुई हूं. जनादेश की दो परस्पर विरोधी व्याख्याएं इस सदन में रखी गई हैं. सत्तापक्ष के मुताबिक, जनादेश गठबंधन के लिए था. क्या ये जनादेश कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए था उम्मीद करूंगी पीएम इसका जवाब देंगे. आज से पहले सदन में एक दल की सरकार होती थी, विपक्ष बिखरा हुआ होता था. आज बिखरी सरकार है और एकजुट विपक्ष है. क्या यह दृश्य अपने आप में जनादेश की अवहेलना की खुली कहानी नहीं कह रहा है. राज्य का सही अधिकारी राज्याधिकार से वंचित कर दिया गया."

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उन्होंने कहा था, " त्रेता युग में यही घटना राम के साथ घटी. द्वापर में यही घटना धर्मराज युधिष्ठिर के साथ घटी थी. शायद रामराज्य और स्वराज्य की यही नियति है. जो अन्याय स्वीकार नहीं करता कि वो अन्याय कर रहा है. यही इस सदन में घटा. धर्मनिरपेक्षा का बाना पहनकर हमपर सांप्रदायिकता का आरोप लगाकर ये तमाम लोग एक साथ हो गए. धर्मनिरपेक्षता पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए. हम सांप्रदायिक हैं, क्योंकि वंदे मातरम की वकालत करते हैं. हम सांप्रदायिक हैं, क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए लड़ते हैं. हम सांप्रदायिक क्योंकि धारा 370 खत्म करने की मांग करते हैं. हम सांप्रदायिक हैं, क्योंकि हम समान नागरिक संहिता की मांग करते हैं. कश्मीरी शरणार्थियों के दर्द को जबान देने पर हां हम सांप्रदायिक हैं.

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सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में आगे कहा था, " सिखों का कत्लेआम करने वाले धर्मनिरपेक्ष हैं. मुस्लिम, यादव की राजनीति करने वाले धर्मनिरपेक्ष हैं. बीजेपी ने राम मंदिर का शिलान्यास हरिजन से करवाया तो हम सांप्रदायिक हो गए. रामभक्तों को गोलियों से भूनने वाले सपा वाले धर्मनिरपेक्ष हो गए, चकमा शरणार्थियों को भगाने वाले धर्मनिरपेक्ष हो गए. हमें हिंदू होने पर गर्व हैं इसलिए हम सांप्रदायिक हो गए. जब तक हिंदू होने पर शर्मिंदगी महसूस नहीं करते तब तक आप धर्मनिरपेक्ष नहीं. एक-दूसरे के धर्मों का आदर करना ही धर्मनिरपेक्षता है. लेकिन इनकी धर्मनिरपेक्षता हिंदू को गाली देने से शुरू होती है. हमें धर्मनिरपेक्षता की ये परिभाषा मान्य नहीं चाहे सरकार रहे या जाए. हमसे हिंदुत्व शब्द के मायने पूछे जाते थे. सदन में भारतीयता शब्द पर भी प्रश्नचिन्ह लगा. चंद्रशेखर जी से उम्मीद थी वो भी मौन साधे रहे. राजमा-चावल से लेकर इडली भारत के आहार हैं."

VIDEO: सुषमा स्वराज का वो ऐतिहासिक भाषण...

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