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सुशांत सिंह केस में पटना में FIR दर्ज करना सही, महाराष्ट्र सरकार इस फैसले को चुनौती नहीं दे सकती : SC

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुशांत सिंह राजपूत केस में फैसला सुनाते हुए मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से की गई अपील के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले की जांच सीबीआई करेगी.

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सुशांत सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने दी सीबीआई जांच को मंजूरी.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुशांत सिंह राजपूत केस में फैसला सुनाते हुए मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से की गई अपील के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले की जांच सीबीआई करेगी. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि यह केस अब सीबीआई के पास है. शीर्ष अदालत ने पटना में सुशांत के परिवार की ओर से दर्ज एफआईआर को सही ठहराया है और कहा है कि बिहार सरकार की ओर से सीबीआई जांच के लिए की गई अनुशंसा भी सही थी. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फैसले को चुनौती देने की अनुमति भी नहीं दी है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहम बातें

  1. सुशांत सिंह राजपूत केस में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए यह मामला केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंप दिया है. एक्टर के मौत के सिलसिले में पटना में दर्ज केस मुंबई ट्रांसफर करने के लिए एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया कि मामले की जांच CBI करेगी.
  2. बिहार और महाराष्ट्र के बीच में उलझकर रह गए इस मामले पर जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने फैसला सुनाया. जस्टिस रॉय ने 11 अगस्त को इस याचिका पर सुनवाई पूरी की थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
  3. कोर्ट ने अपने फैसले में पटना में दर्ज FIR को सही ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि यह एफआईआर भी सही थी और बिहार सरकार की ओर से की सीबीआई की अनुशंसा भी उचित थी. कोर्ट ने कहा कि 'वर्तमान मामले में, मुंबई पुलिस ने बिना किसी एफआईआर  किए धारा 174 के दायरे को बढ़ाने का प्रयास किया है और इसलिए, जैसा कि प्रतीत होता है, मुंबई पुलिस द्वारा संज्ञेय अपराध की के लिए कोई जांच नहीं की जा रही है. हितधारकों द्वारा निष्पक्ष जांच पर आशंका को देखते हुए, इस न्यायालय को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि सत्य की खोज एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा की जाए, जो दोनों राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित ना हो. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जांच और जांच प्राधिकरण की विश्वसनीयता को संरक्षित किया जाना चाहिए.'
  4. सुप्रीम कोर्ट ने केस में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया. अदालत ने कहा कि 'उपरोक्त प्रावधान यह स्पष्ट करता है कि सुप्रीम कोर्ट एक योग्य मामले में, न्याय प्रदान करने के लिए अनुच्छेद 142 शक्तियों को लागू कर सकता है. इस मामले में अजीब परिस्थितियों के लिए आवश्यक है कि इस मामले में पूर्ण न्याय किया जाए.'
  5. बता दें कि महाराष्ट्र सरकार लगातार इस मामले में सीबीआई जांच का विरोध कर रही थी और उसका कहना था कि मामला मुंबई पुलिस के पास ही रहने दिया जाए. सरकार का आरोप था कि बिहार पुलिस के मामले में एफआईआर दर्ज करने और जांच करने का कोई अधिकार नहीं था.
  6. इसके उलट अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि 'चूंकि मुंबई पुलिस ने राजपूत की मौत के लिए केवल एक्सीडेंटल मौत की रिपोर्ट दर्ज की थी, इसलिए इसमें सीमित जांच शक्तियां थीं. चूंकि बिहार पुलिस ने एक पूरी एफआईआर दर्ज की है, जिसे पहले से ही सीबीआई को भेज दिया गया है. ऐसे में केंद्रीय एजेंसी को मामले की जांच करनी चाहिए.'
  7. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 'यह सुनिश्चित किया जाए कि राजपूत की आत्महत्या के पीछे के रहस्य की जांच का CBI को एकमात्र अधिकार होने के बारे में कोई भ्रम ना हो और कोई भी अन्य राज्य पुलिस इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती. CBI न केवल पटना एफआईआर बल्कि राजपूत की मौत के मामले से जुड़ी किसी अन्य एफआईआर की जांच करने में सक्षम होगी.'
  8. कोर्ट ने मुंबई पुलिस को आदेश देते हुए कहा है कि वो अब तक जुटाए गए सभी सबूत और दस्तावेज CBI को सौंपे. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कोर्ट के आदेश का पालन करने और जांच में सहयोग करने को कहा है.
  9. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में इसके खिलाफ चुनौती देने के लिए स्वतंत्रता मांगी, जिससे सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया. इसके बाद अब महाराष्ट्र सरकार के पास अब यह आदेश मानने के अलावा और कोई चारा नहीं है.
  10. बता दें कि रिया चक्रवर्ती ने कोर्ट में अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें मामले में सीबीआई जांच से कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन उनका कहना था कि बिहार वाला केस मुंबई ट्रांसफर कर दिया जाए और सीबीआई जांच होनी है तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट आदेश दे.

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