
महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt) ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के सिलसिले में पटना में दर्ज प्राथमिकी राजनीति से प्रेरित है. राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि बिहार पुलिस इस मामले में न तो प्राथमिकी दर्ज कर सकती है और न ही मुंबई पुलिस की कथित ‘‘निष्क्रियता और अवैध'' कार्रवाई के आधार पर कोई जांच नहीं कर सकती है.
केन्द्र ने भी सुशांत सिंह राजपूत से जुड़े एक मामले में न्यायालय से आज कहा कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा जिन 56 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं ‘‘उनकी कोई वैधता या कानूनी शुचिता'' नहीं है क्योंकि उसने अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं दी है. केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने लिखित में न्यायालय से अनुरोध किया कि वह मामले की जांच सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंपने की अनुमति दे दें.
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केन्द्र ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसने 56 लोगों का बयान दर्ज किया है, लेकिन जैसा कि उन्होंने कहा है कि कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है और पुलिस अधिकारी धारा 174 के तहत बमुश्किल ही अपना काम कर रहे हैं, ऐसे में उनकी कोई कानूनी वैधता या शुचिता नहीं है.'' अर्जी में कहा गया है कि बिहार सरकार और ED के अनुरोध पर CBI इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है.
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ED धनशोधन मामले की जांच कर रही है. बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत (34) का शव 14 जून को मुंबई के बांद्रा स्थित उनके अपार्टमेंट से मिला था. पटना में चक्रवर्ती के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज है.
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