जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन इस्तेमाल करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि ऐसे तरीके ढूंढें जाएं जिन्हें पैलेट गन के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि पैलेट गन के विकल्प पर विचार करें ताकि किसी भी नागरिक को नुकसान न पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि ऐसे किसी विकल्प को देखें जिससे दोनों पक्षो को नुकसान न पहुंचे. जैसे पैलेट की जगह पानी की बौछार में कुछ कैमिकल मिलाकर प्रदर्शनकारियों पर इस्तेमाल किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये जानते हैं कि यहां बैठकर कश्मीर के हालात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन हम यह तय करना चाहते हैं कि सुरक्षा बलों को भी नुकसान ना पहुंचे लेकिन उसी समय अपने आपको बचाना, टीम को बचाना और सम्पति को बचाना भी होता है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदर्शन करने वालों को नुकसान पहुंचाना सुरक्षा बलों का मकसद नहीं होता. कोर्ट ने कहा प्रदर्शनकारियों पर गंदा पानी, टेजर्स गन का इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि उन्हें भी बचाया जा सके.
वहीं केंद्र सरकार की ओर से AG मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए. कोर्ट को यह तय नहीं करना चाहिए कि सुरक्षा बल कौन से हथियार का इस्तेमाल करें, क्या तरीका इस्तेमाल करें. कश्मीर के हालात का अंदाजा यहां से नहीं लगाया जा सकता रोजाना वहां 50 घटनाएं हो रही हैं. यहां तक कि बुरहान वानी की मौत के बाद 8 जुलाई से 11 अगस्त 2016 में CRPF कैंप पर हमले की 252 वारदातें हुईं जिनमें 3177 लोग जख्मी हुए. सीमा पार से पथराव करने के लिए 16, 17 और 18 साल के युवकों को तैयार किया जा रहा है. हालांकि AG ने पिछले साल अक्तूबर में तैयार गृहमंत्रालय की रिपोर्ट भी कोर्ट को दी है. कोर्ट 10 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई करेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा इस्तेमाल करने वाले पैलेट गन पर रोक लगाने ककी मांग की गई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदर्शन करने वालों को नुकसान पहुंचाना सुरक्षा बलों का मकसद नहीं होता. कोर्ट ने कहा प्रदर्शनकारियों पर गंदा पानी, टेजर्स गन का इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि उन्हें भी बचाया जा सके.
वहीं केंद्र सरकार की ओर से AG मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए. कोर्ट को यह तय नहीं करना चाहिए कि सुरक्षा बल कौन से हथियार का इस्तेमाल करें, क्या तरीका इस्तेमाल करें. कश्मीर के हालात का अंदाजा यहां से नहीं लगाया जा सकता रोजाना वहां 50 घटनाएं हो रही हैं. यहां तक कि बुरहान वानी की मौत के बाद 8 जुलाई से 11 अगस्त 2016 में CRPF कैंप पर हमले की 252 वारदातें हुईं जिनमें 3177 लोग जख्मी हुए. सीमा पार से पथराव करने के लिए 16, 17 और 18 साल के युवकों को तैयार किया जा रहा है. हालांकि AG ने पिछले साल अक्तूबर में तैयार गृहमंत्रालय की रिपोर्ट भी कोर्ट को दी है. कोर्ट 10 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई करेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा इस्तेमाल करने वाले पैलेट गन पर रोक लगाने ककी मांग की गई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
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