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This Article is From Jan 07, 2016

संसद में जनप्रतिनिधियों की गपशप पर ये क्‍या बोल गईं एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले...

संसद में जनप्रतिनिधियों की गपशप पर ये क्‍या बोल गईं एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले...
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले की फाइल फोटो
मुंबई: एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने संसद में जनप्रतिनिधियों की गपशप का खुलासा करते हुए कहा है कि संसद में एक जैसे भाषण सुन हम जब बोर हो जाते हैं तो बगल में बैठे सांसद से बाते करने लगते हैं। देशवासी सोचते होंगे कि हम किसी गंभीर मुद्दे पर एक दूसरे से चर्चा कर रहे होंगे। लेकिन ऐसा नहीं होता, हम आपस में एक दूसरे की साड़ी और बाकी चीजों पर चर्चा कर समय व्यतीत करते हैं।

सुप्रिया सुले ने नासिक में युवतियों के सर्वांगिण विकास के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं।

सुप्रिया सुले एनसीपी नेता शरद पवार की बेटी हैं और बारामती से सांसद हैं। सुप्रिया ने यहां तक कहा कि संसद में पुरूष सांसद चिढ़ाते हैं कि अगर महिलाओं का आरक्षण बढ़ता है तो संसद में साड़ी, फेशियल और पार्लर पर ही चर्चा होगी।

सुप्रिया सुले का भाषण मराठी में है इसलिए उसका हिंदी अनुवाद नीचे लिखा है।
मैं जब संसद में जाती हूं तो पहला भाषण सुनती हूं, दूसरा सुनती हूं, तीसरा सुनती हूं। चौथे भाषण तक जो पहला दूसरा तीसरा बोला होता है वही वो बोलता रहता है और वही बोलते बोलते अगर आप मुझसे पूछेंगे कि क्या भाषण किया तो चौथे भाषण के बाद हम कुछ नहीं बता सकते। इसलिए बीच-बीच में ... मार लेते हैं नहीं तो बगल के सांसद से गप मारते रहते हैं। हमारे वहां वो चलता है जो आपकी कक्षा में नहीं चलता। सांसदों से बात करते वक्त ऊपर से टीवी में सब दिखता है। आप लोगों को लगता है कि देश की चर्चा कर रहे हैं। समझो मैं चेन्नई के सांसद से बात कर रही हूं तो आप को लगता होगा कि बाप रे, ताई चेन्नई की बाढ़ के बारे में चर्चा कर रहीं हैं। ऐसी कोई चर्चा नहीं होती। तुम्हारी साड़ी कहां से लाई। मेरी कहां से लाई? यही सब बातें होती रहती हैं। आप लोग भी ऐसे ही गप मारते हैं कि नहीं?

उषा ताई ने अभी भाषण में कहा कि आरक्षण जयादा महिलाओं को देना चाहिए। संसद के पुरूष मुझे चिढ़ाते हैं कि अगर और 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा तो संसद में साड़ी, फेशियल और पार्लर पर ही बातें होंगी। मैं उनको कई बार बोलती हूं कि आप लोग मेरी साड़ी पर कमेंट करते रहते हैं, देश का कोई बहुत बड़ा भला नहीं किया है इसलिए हमें एक बार मौका देने में कोई हर्ज नहीं है। किसी 27 साल की युवती का भाषण आज पहली बार अच्छे से सुना।

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