
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस झा कमिशन की रिपोर्ट सावर्जनिक करने पर 30 मार्च तक रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाई है, जिसमें कमिशन का रिपोर्ट को हाइकोर्ट और याचिकाकर्ता नर्मदा बचाओ आंदोलन को देने के आदेश दिए थे।
इसे लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि कानून कमिशन की रिपोर्ट विधानसभा को सौंपी जाती है और इसे विधानसभा पटल पर रखा जाता है और वहां इस पर फैसला लिया जाता है। अगर हाइकोर्ट को ये दी जाएगी, तो वहां से कोई फैसला आया तो विधानसभा के साथ टकराव होगा। ये अधिकार विधानसभा का है, लिहाजा हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए।
दरअसल, नर्मदा बचाओ आंदोलन ने आरोप लगाया था कि सरदार सरोवर के लिए पुनर्वास योजना में धांधली हो रही है। हाइकोर्ट ने 2009 में सरकार को जांच कराने के आदेश दिए और सरकार ने जस्टिस झा कमिशन बनाया। जस्टिस झा ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। 2009 में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 30 मार्च को करेगा।
इसे लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि कानून कमिशन की रिपोर्ट विधानसभा को सौंपी जाती है और इसे विधानसभा पटल पर रखा जाता है और वहां इस पर फैसला लिया जाता है। अगर हाइकोर्ट को ये दी जाएगी, तो वहां से कोई फैसला आया तो विधानसभा के साथ टकराव होगा। ये अधिकार विधानसभा का है, लिहाजा हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए।
दरअसल, नर्मदा बचाओ आंदोलन ने आरोप लगाया था कि सरदार सरोवर के लिए पुनर्वास योजना में धांधली हो रही है। हाइकोर्ट ने 2009 में सरकार को जांच कराने के आदेश दिए और सरकार ने जस्टिस झा कमिशन बनाया। जस्टिस झा ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। 2009 में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 30 मार्च को करेगा।
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