सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार तक सभी पक्षों से लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि जांच को मुंबई ट्रांसफर किया जाए या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ये भी तय करेगा कि मामले की जांच सीबीआई करेगी या मुंबई पुलिस? मामले में सुप्रीम कोर्ट में करीब तीन घंटे सुनवाई चली. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में केंद्र सरकार ने सीबीआई (CBI) जांच की जरूरत बताई. केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब पर सवाल उठाया. उसने कहा कि मुंबई पुलिस ने अब तक FIR दर्ज क्यों नहीं की?
केंद्र सरकार ने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जरूरत है. मामले की जांच ईडी कर रही है जो कि एक केंद्रीय जांच एजेंसी है, ऐसे में दूसरी जांच एजेंसी राज्य सरकार की नहीं बल्कि केन्द्र सरकार की ही होनी चाहिए जो कि सीबीआई है.
केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा कि CrPC 174 के तहत दुर्घटना में हुई मौत की शुरुआती जांच बहुत कम समय तक चलती है. शव को देखकर और स्पॉट पर जाकर देखा जाता है कि मौत की वजह संदिग्ध है या नहीं. फिर एफ़आईआर दर्ज होती है. लेकिन इस मामले में मुंबई पुलिस जो कर रही है, वह सही नहीं है. महाराष्ट्र पुलिस ने अब तक 56 लोगों से पूछताछ की है. अब तक की गई महाराष्ट्र पुलिस की जांच के कोई मायने नहीं हैं. यह कानून सम्मत नहीं है, क्योंकि पुलिस ने अभी तक इसमें एफ़आईआर दर्ज नहीं की है.
रिया के वकील श्याम दीवान ने कहा कि सीबीआई जांच बिना राज्य की मंज़ूरी के शुरू नहीं हो सकती है और इस मामले में जांच करने वाला पहला राज्य महाराष्ट्र है इसलिए महाराष्ट्र सरकार की मंज़ूरी के बिना सीबीआई जांच नहीं हो. दीवान ने कहा कि पहले बिहार पुलिस की एफ़आईआर मुंबई पुलिस के पास ट्रांसफ़र हो, इसके बाद यदि महाराष्ट्र सरकार सीबीआई जांच की मंज़ूरी दे तो सीबीआई जांच हो. वकील ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना संतोषजनक जवाब दायर किया है जिसमें बताया गया है कि मुम्बई पुलिस सही तरीक़े से जांच कर रही है. मुंबई पुलिस 56 लोगों से पूछताछ कर चुकी है, इसलिए जांच मुंबई पुलिस के पास ही रहनी चाहिए.
रिया के वकील ने कहा कि पटना में दर्ज FIR का घटना से कोई संबंध नहीं है. 38 दिन बाद पटना में FIR दर्ज हुई. बिहार सरकार मामले में ज़्यादा दखल दे रही है. रिया के वकील ने कहा कि 25 जुलाई को दर्ज FIR का पटना में हुए किसी अपराध से संबंध नहीं है. वकील श्याम दीवान ने पटना में दर्ज FIR पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि बिहार का क्षेत्राधिकार नहीं. 38 दिन के बाद FIR दर्ज करने का औचित्य नहीं है. FIR दर्ज होने के पीछे राजनैतिक वजह है. बिहार पुलिस ने एक ऐसे मामले के लिए FIR दर्ज की, जिसका पटना से कोई कनेक्शन ही नहीं है.
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रिया के वकील ने कहा कि अगर मामले को पटना से मुंबई पुलिस के पास ट्रांसफ़र नहीं होगा, तो रिया को इंसाफ नहीं मिल पाएगा. वकील ने कहा कि बिहार पुलिस का इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री इस मामले में राजनैतिक लाभ लेने के लिए खुद ही सक्रिय हुए हैं. वकील ने कहा कि रिया, सुशांत से प्यार करती थी, उसे ट्रोल किया जा रहा है, उसको प्रताड़ित किया जा रहा है.
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राजनैतिक दबाव में बिहार सरकार नहीं, बल्कि महाराष्ट्र सरकार है जिसने अभी तक सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में एफ़आईआर दर्ज नहीं की है. बिहार सरकार के वकील ने महाराष्ट्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए हलफनामे पर सवाल उठाया जिसमें कहा गया है कि 56 लोगों से पूछताछ हुई है. कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक FIR दर्ज नहीं की है और इस सम्बंध में हलफनामे में कुछ भी नहीं कहा गया.
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सुप्रीम कोर्ट ने रिया के वकील से पूछा कि क्या यह सही है कि आप भी CBI जांच चाहती थीं? रिया के वकील ने कहा कि FIR को पटना से मुंबई ट्रांसफर किया जाए, महाराष्ट्र सरकार जो चाहे करेगी. वह चाहे तो CBI को दे सकती है.
बिहार सरकार के वकील ने कहा कि बिहार पुलिस के एक IPS को मुंबई में क्वारंटाइन करने के नाम पर डिटेन करके रखा गया. इन सब बातों को सुप्रीम कोर्ट को ध्यान में रखना होगा कि महाराष्ट्र सरकार का इस मामले को लेकर रवैया क्या है. बिहार सरकार के वकील ने कहा कि अगर सुशांत के बैंक खाते से 15 करोड़ रुपये गायब हुए हैं तो सुशांत के पिता को पटना में रिपोर्ट दर्ज करवाने का हक था. मुंबई पुलिस ने सिर्फ मीडिया को दिखाने के लिए जांच का दिखावा किया. हकीकत में कोई जांच नहीं की. सही मायनों में 25 जून के बाद कानूनन मुंबई में कोई जांच लंबित नहीं है.
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सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने कहा कि सुशांत को परिवार से दूर किया जा रहा था. पिता ने बार-बार पूछा कि मेरे बेटे का क्या इलाज हो रहा है? मुझे वहां आने दो, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. मामले में कई पहलू जांच के लायक़ हैं. ऐसा लग रहा है कि सुशांत के गले पर निशान बेल्ट के थे. सुशांत की बॉडी को किसी ने पंखे से लटका हुआ नहीं देखा. सुशांत के पैसे को लेकर धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात पटना में हुआ था इसलिए एफ़आईआर पटना में दर्ज कराई गई है.
सुनवाई के अंत में रिया के वकील ने कहा कि हमारी मांग के मुताबिक केस मुंबई ट्रांसफर हो, आगे जो किए जाने की ज़रूरत हो वो इसके बाद हो. इस मामले में जैसे दूसरे राज्य में FIR दर्ज हुई है और फिर उसे CBI को ट्रांसफर किया गया, इसकी अनुमति नहीं दी जाए.
सुप्रीम कोर्ट में वकील मनिंदर सिंह बिहार पुलिस के लिए पेश हुए. वकील अभिषेक मनु सिंघवी महाराष्ट्र सरकार के लिए, वकील श्याम दीवान रिया के लिए और वकील विकास सिंह सुशांत के पिता के लिए पेश हुए.
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