सुप्रीम कोर्ट (SC) ने अयोध्या केस पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को दी जाएगी और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जगह मिलेगी. कोर्ट ने शुरू में ही शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा की याचिकाएं खारिज कर दी हैं. इसके साथ ही कहा है कि मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी जगह दी जाएगी. यह फैसला सभी जजों की सहमति से हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि पुरात्व विभाग ने मंदिर (Ayodhya Case) होने के सबूत पेश किए हैं. सैकड़ों पन्नों का जजमेंट पढ़ते हुए पीठ ने कहा कि हिंदू अयोध्या (Ayodhya Verdict) को राम जन्मस्थल मानते हैं और रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट के लिए थिओलॉजी में जाना उचित नहीं है. लेकिन पुरातत्व विभाग यह भी नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 बड़ी बातें
- मुस्लिम गवाहों ने भी माना कि दोनों पक्ष पूजा करते थे. मस्जिद कब बनीं साफ नहीं है. ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई गई थी.
- प्रधान न्यायाधी ने कहा, सबूत पेश किए गए हैं कि हिंदू बाहरी आहते में पूजा करते थे. विश्वास एक व्यक्तिगत एक मामला है.
- सूट-5 इतिहास के आधार पर है जिसमें यात्रा का विवरण है. सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्ण कब्जा दिखाना असंभव है. मस्जिद कब बनी और किसने बनाई साफ नहीं है.
- 1856-57 से पहले हिंदुओं को आंतरिक अहाते में जाने से कोई रोक नहीं थी. मुस्लिमों को बाहरी आहाते का अधिकार नहीं था. सुन्नी वक्फ बोर्ड एकल अधिकार का सबूत नहीं दे पाया.
- आखिरी नमाज दिसंबर 1949 को पढ़ी गई थी. हम सबूतों के आधार पर फैसला करते हैं. मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी जगह मिलेगी.
- केंद्र सरकार तीन महीने में योजना तैयार करेगी. योजना में बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का गठन किया जाएगा. फिलहाल अधिग्रहीत जगह का कब्जा रिसीवर के पास रहेगा. सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन मिले
- केंद्र सरकार तीन महीने में योजना तैयार करेगी. योजना में बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का गठन किया जाएगा.
- केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में ही मस्जिद के लिए सूटेबल और प्रॉमिनेंट जगह ज़मीन दे.
- सरकार को मंदिर बनाने के लिए ट्र्स्ट बनाना होगा. सभी जजों की 'सहमति' से फैसला हुआ है.
- रामलला विराजमान को दिया गया मालिकानी हक, देवता एक कानूनी व्यक्ति.