सुप्रीम कोर्ट ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के जमीन की खरीदारी वाले एक मामले में की गई सीबीआई जांच की मांग से संबंधित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि किसी भी व्यक्ति के पास किसी अन्य व्यक्ति को बदनाम करने का हक नहीं है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आज कहा कि, 'जनहित याचिका के आधार पर हम आपको किसी भी व्यक्ति को बदनाम करने की अनुमति नहीं दे सकते। अगर कोई व्यक्ति किसी राजनेता से संबंध रखता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह गुनहगार हो जाता है।'
याचिका में यह भी अपील की गई थी कि हरियाणा में साल 2005 से लेकर 2012 तक वाड्रा सहित अन्य बील्डरों के कंपनियों के लाइसेंस की जांच को खारिज करने का जो आदेश सरकार की ओर से दिया गया था कोर्ट उसे भी समाप्त कर दे।
कोर्ट ने पूछा कि, 'अपनी याचिका में आपने कहा है कि हरियाणा की सरकार ने 21000 एकड़ के लिए लाइसेंस दिया था तो फिर आप एक आदमी को निशाना क्यों बना रहे हैं?' कोर्ट के द्वारा पूछे गए इस सवाल के बाद यचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।
हरियाणा सरकार ने इस बात की पुष्टि कर दी थी कि वाड्रा के जमीन खरीदारी पूरी तरफ से साफ है जबकि वहीं पिछले साल एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अशोक खेमका ने वाड्रा के जमीन की खरीदारी को कुछ त्रुटियों के आधार पर खारिज कर दिया था।
खेमका के खिलाफ हरियाणा सरकार ने तीन बार जांच भी बैठाई थी और वाड्रा के जमीन की खरीद को खारिज करने के बाद खेमका का तीन बार स्थानांतरण भी किया गया।
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