नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने तेजाब के हमलों की घटनाएं रोकने के इरादे से इसकी बिक्री पर अंकुश लगाने की नीति तैयार करने के मामले में ‘गंभीर’ नहीं होने के कारण मंगलवार को केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया।
न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि तेजाब के हमलों से रोजाना लोग मर रहे हैं, लेकिन न्यायालय को 16 को अश्वासन देने के बावजूद केन्द्र इस बारे में नीति तैयार करने में विफल रहा है।
न्यायाधीशों ने राज्य सरकारों से परामर्श करके नीति तैयार करने के लिए केन्द्र सरकार को एक सप्ताह का समय देते हुए कहा, ‘‘इस मसले के प्रति सरकार की गंभीरता नजर नहीं आती है।’’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘लोग मर रहे हैं लेकिन आपको इसकी परवाह नहीं है। उन लोगों के बारे में सोचिये जो रोजाना जिंदगी गंवा रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में रोजाना लड़कियों पर हमले हो रहे हैं।’’
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘इस न्यायालय ने बहुत बोझिल मन से अप्रैल में आदेश पारित किया था लेकिन सरकार इसके बावजूद बाजार में तेजाब की बिक्री को नियंत्रित करने की नीति तैयार करने में विफल रही है।’’
न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि 16 जुलाई तक सरकार इस बारे में कोई नीति तैयार करने में विफल रहती है तो फिर वह उचित आदेश पारित करेगी।
शीर्ष अदालत ने 16 अप्रैल को कहा था कि तेजाब पर प्रतिबंध लगाने से पहले वह इसकी बिक्री को नियंत्रित करने की संभावना तलाशने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को मौका देना चाहता है।
न्यायालय ने इससे पहले 6 फरवरी को केन्द्र सरकार को छह सप्ताह के भीतर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों की बैठक बुलाने और उसके तेजाब की बिक्री नियंत्रित करने के तरीकों, तेजाब के हमलों के शिकार लोगों के उपचार, उनके लिए मुआवजा और पुनर्वास के मुद्दों पर विचार करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि इस तरह की कोई नीति तैयार करने की प्रक्रिया में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सचिव तथा राज्यों के संबंधित सचिवों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
न्यायालय दिल्ली में 2006 में तेजाब के हमले में घायल नाबालिग लक्ष्मी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। तेजाब के इस हमले में लक्ष्मी के हाथ, चेहरा और शरीर के दूसरे हिस्से झुलस गए थे।
इस याचिका में लक्ष्मी ने नया कानून बनाने या फिर भारतीय दंड संहिता, साक्ष्य कानून और अपराध प्रक्रिया संहिता में ही उचित संशोधन करके ऐसे हमलों से निबटने का प्रावधान करने और पीड़ितों के लिए मुआवजे की व्यवस्था का अनुरोध किया था।
याचिका के अनुसार लक्ष्मी पर तुगलक रोड के निकट तीन युवकों ने तेजाब फेंक दिया था क्योंकि उसने इनमें से एक से शादी करने से इनकार कर दिया था। इस मामले में आरोपियों पर हत्या के आरोप का मुकदमा चल रहा है और इनमें से दो व्यक्ति इस समय जमानत पर हैं।
न्यायालय ने पिछले साल 29 अप्रैल को गृहमंत्रालय से कहा था कि इस मामले में उचित नीति तैयार करने के इरादे से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ तालमेल किया जाए।
न्यायालय ने तेजाब के हमले के पीड़ितों को इलाज के लिए समुचित मुआवजा देने और उनके पुनर्वास के लिए उचित योजना के बारे में केन्द्र और राज्य सरकारों से भी जवाब तलब किए थे।
न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि तेजाब के हमलों से रोजाना लोग मर रहे हैं, लेकिन न्यायालय को 16 को अश्वासन देने के बावजूद केन्द्र इस बारे में नीति तैयार करने में विफल रहा है।
न्यायाधीशों ने राज्य सरकारों से परामर्श करके नीति तैयार करने के लिए केन्द्र सरकार को एक सप्ताह का समय देते हुए कहा, ‘‘इस मसले के प्रति सरकार की गंभीरता नजर नहीं आती है।’’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘लोग मर रहे हैं लेकिन आपको इसकी परवाह नहीं है। उन लोगों के बारे में सोचिये जो रोजाना जिंदगी गंवा रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में रोजाना लड़कियों पर हमले हो रहे हैं।’’
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘इस न्यायालय ने बहुत बोझिल मन से अप्रैल में आदेश पारित किया था लेकिन सरकार इसके बावजूद बाजार में तेजाब की बिक्री को नियंत्रित करने की नीति तैयार करने में विफल रही है।’’
न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि 16 जुलाई तक सरकार इस बारे में कोई नीति तैयार करने में विफल रहती है तो फिर वह उचित आदेश पारित करेगी।
शीर्ष अदालत ने 16 अप्रैल को कहा था कि तेजाब पर प्रतिबंध लगाने से पहले वह इसकी बिक्री को नियंत्रित करने की संभावना तलाशने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को मौका देना चाहता है।
न्यायालय ने इससे पहले 6 फरवरी को केन्द्र सरकार को छह सप्ताह के भीतर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों की बैठक बुलाने और उसके तेजाब की बिक्री नियंत्रित करने के तरीकों, तेजाब के हमलों के शिकार लोगों के उपचार, उनके लिए मुआवजा और पुनर्वास के मुद्दों पर विचार करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि इस तरह की कोई नीति तैयार करने की प्रक्रिया में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सचिव तथा राज्यों के संबंधित सचिवों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
न्यायालय दिल्ली में 2006 में तेजाब के हमले में घायल नाबालिग लक्ष्मी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। तेजाब के इस हमले में लक्ष्मी के हाथ, चेहरा और शरीर के दूसरे हिस्से झुलस गए थे।
इस याचिका में लक्ष्मी ने नया कानून बनाने या फिर भारतीय दंड संहिता, साक्ष्य कानून और अपराध प्रक्रिया संहिता में ही उचित संशोधन करके ऐसे हमलों से निबटने का प्रावधान करने और पीड़ितों के लिए मुआवजे की व्यवस्था का अनुरोध किया था।
याचिका के अनुसार लक्ष्मी पर तुगलक रोड के निकट तीन युवकों ने तेजाब फेंक दिया था क्योंकि उसने इनमें से एक से शादी करने से इनकार कर दिया था। इस मामले में आरोपियों पर हत्या के आरोप का मुकदमा चल रहा है और इनमें से दो व्यक्ति इस समय जमानत पर हैं।
न्यायालय ने पिछले साल 29 अप्रैल को गृहमंत्रालय से कहा था कि इस मामले में उचित नीति तैयार करने के इरादे से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ तालमेल किया जाए।
न्यायालय ने तेजाब के हमले के पीड़ितों को इलाज के लिए समुचित मुआवजा देने और उनके पुनर्वास के लिए उचित योजना के बारे में केन्द्र और राज्य सरकारों से भी जवाब तलब किए थे।
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