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This Article is From Jan 10, 2018

JAL को सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, कहा- बताओ, देश में कितने हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं

RBI की इंफ्राटेक के साथ साथ JAL के खिलाफ भी दिवालियएपन की कार्रवाई शुरु करने की अर्जी पर बाद में सुनवाई होगी.

JAL को सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, कहा- बताओ, देश में कितने हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं
जेपी असोसिएट्स को सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जेपी असोसिएट्स से कहा, हलफनामा दाखिल कर बताओ कि देशभर में उसके कितने हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं. RBI की इंफ्राटेक के साथ साथ JAL के खिलाफ भी दिवालियएपन की कारवाई शुरु करने की अर्जी पर बाद में सुनवाई होगी. हालांकि JAL के स्वतंत्र निदेशकों को फिलहाल कोर्ट पेशी से छूट दी गई है लेकिन देश छोडकर ना जाने के निर्देश बरकरार रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बिल्कुल स्पष्ट है कि खरीदारों को या तो घर मिले या पैसे. कोर्ट ने कहा कि उसे होम बायर्स के हितों की रक्षा करनी है. मामले में अगली सुनवाई पांच फरवरी को होनी है.

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वहीं, एमिक्स पवन सी अग्रवाल होम बॉयर्स को लेकर JAL के लिए अलग से वेब पोर्टल बनाएंगे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जेपी इंफ्राटेक के अलावा जेपी एसोसिएटस  लिमिटेड के खिलाफ भी दिवालियेपन के लिए कार्यवाही शुरू करने की इजाजत मांगी थी. वहीं 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जेपी एसोसिएटस लिमिटेड (JAL) को राहत देते हुए 125 करोड रुपये जमा कराने के लिए 25 जनवरी तक का वक्त दे दिया था. इससे पहले कोर्ट ने 31 दिसंबर तक ये रुपये सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने का आदेश दिया था. आदेश के तहत 14 दिसंबर तक 150 कराने थे जो कंपनी ने जमा करा दिए थे.

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आदेश का पालन नहीं किया गया तो ये कोर्ट की अवमानना के तहत होगा. पिछली सुनवाई में निवेशकों की रकम को दूसरे प्रॉजेक्ट्स में लगाने और फ्लैट का समय पर आवंटन न करने के मामले में फंसे जेपी असोसिएट्स के निदेशकों के संपत्ति बेचने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. अदालत ने ग्रुप को 14 दिसंबर को 150 करोड़ रुपये और 31 दिसंबर को 125 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था.

इसके साथ ही जेपी असोसिएट्स की ओर से जमा कराई गई 275 करोड़ रुपये की रकम को स्वीकार कर लिया था. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय बेंच ने सभी 13 निदेशकों की निजी संपत्ति को फ्रीज कर लिया है. अदालत के आदेश के बिना ये लोग अपनी संपत्ति नहीं बेच सकेंगे. यही नहीं निदेशकों के पारिवारिक सदस्य भी अपनी संपत्ति नहीं बेच सकेंगे.

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कोर्ट ने कहा कि यदि आदेश के बावजूद निवेशक अपनी संपत्ति बेचने की कोशिश करते हैं तो उनके खिलाफ आपराधिक मामला चलेगा. अदालत ने 13 नवंबर को हुई सुनवाई में जेपी ग्रुप से निवेशकों के 2,000 करोड़ रुपये लौटाने का प्लान पूछा था. इसके अलावा 22 नवंबर को सभी निदेशकों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद रहने का आदेश दिया था. इस पर जेपी असोसिएट्स लिमिटेड ने शीर्ष अदालत में 275 करोड़ रुपये जमा कराए.

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