नई दिल्ली:
नोएडा प्लॉट आवंटन घोटाले में अनियमितताएं बरतने के आरोप में तीन साल की सजा पाई पूर्व आईएएस अधिकारी नीरा यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। अब इस याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच करेगी।
नीरा यादव ने बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। यादव ने सुप्रीम कोर्ट में उन्हें दी गई 3 साल कैद की सजा के फैसले को रद्द करने और उन्हें मामले में जमानत देने की मांग की है। इस मामले में सीबीआई को प्रतिवादी बनाया गया है। नीरा यादव का कहना है कि उनका इस पूरे मामले में कोई रोल नहीं है। उनके ऊपर लगे आरोप स्पष्ट नहीं हैं। इन तथ्यों को निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दरकिनार किया है। लिहाजा, उन्हें दी गई सजा के फैसले को खारिज किया जाए और उन्हें जमानत दी जाए।
यह था पूरा मामला
गौरतलब है कि नोएडा एंटरप्रिन्योर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 1971 बैच की आईएएस और यूपी की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव पर भूखंड आवंटित करने में अनियमितताएं बरतने के आरोप की जांच की थी और एक रिपार्ट दर्ज की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री से नीरा के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति ली गई। सीबीआई ने कोर्ट में दो अलग-अलग चार्जशीट भी दाखिल की थी, जिसमें एक चार्जशीट नोएडा प्राधिकरण की पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी नीरा यादव व मेरठ के मंडलायुक्त रहे राजीव कुमार को देकर उन्हें आरोपी बनाया गया था। दूसरे मामले में नीरा यादव पर अपनी पुत्रियों के लिए भूखंड आवंटित करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है। पहली चार्जशीट में राजीव कुमार पर यह आरोप लगाया गया था कि नोएडा अथॉरिटी में डिप्टी सीईओ पद पर रहते हुए सीईओ नीरा यादव के सहयोग से सेक्टर-51 में 450 वर्ग मीटर का एक प्लॉट आवंटित कराया था, जो बाद में सेक्टर-44 ए में परिवर्तित कर दिया गया। उसके बाद बेहद महंगे सेक्टर-14ए में इसे परिवर्तित करा दिया गया और उसका साइज 300 वर्ग मीटर कर दिया गया। भूखंड के पास में 105 वर्ग मीटर खाली पड़ी ग्रीन बेल्ट को भी भूखंड में शामिल कर लिया गया।
दूसरी चार्जशीट में नीरा यादव पर उनकी दो पुत्रियों को नियमों की अनदेखी कर भूखंड आवंटित करने का आरोप का है। चार्जशीट में कहा गया था कि नीरा ने अपनी बेटियो के नाम पर दो दुकानों का आवंटन किया और उसके बाद उसी आधार पर सेक्टर-44में आवासीय भूखंड आवंटित कर दिए।एक भूखंड नीरा यादव ने सेक्टर-14 ए में आवंटित करा लिया।
निचली अदालत ने सुनाई थी तीन साल कैद की सजा
सीबीआई की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए नोएडा प्लाट आवंटन घोटाले में आरोपी नोएडा प्राधिकरण की पूर्व सीईओ एवं प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव तथा प्राधिकरण के पूर्व डिप्टी सीईओ राजीव कुमार को 20नवंबर 2012 को गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की कैद और एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के इस फैसले को नीरा यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 25 फरवरी 2016 में नीरा यादव की याचिका को खारिज कर दिया था। इस मामले में नीरा यादव ने आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था।
नीरा यादव ने बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। यादव ने सुप्रीम कोर्ट में उन्हें दी गई 3 साल कैद की सजा के फैसले को रद्द करने और उन्हें मामले में जमानत देने की मांग की है। इस मामले में सीबीआई को प्रतिवादी बनाया गया है। नीरा यादव का कहना है कि उनका इस पूरे मामले में कोई रोल नहीं है। उनके ऊपर लगे आरोप स्पष्ट नहीं हैं। इन तथ्यों को निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दरकिनार किया है। लिहाजा, उन्हें दी गई सजा के फैसले को खारिज किया जाए और उन्हें जमानत दी जाए।
यह था पूरा मामला
गौरतलब है कि नोएडा एंटरप्रिन्योर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 1971 बैच की आईएएस और यूपी की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव पर भूखंड आवंटित करने में अनियमितताएं बरतने के आरोप की जांच की थी और एक रिपार्ट दर्ज की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री से नीरा के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति ली गई। सीबीआई ने कोर्ट में दो अलग-अलग चार्जशीट भी दाखिल की थी, जिसमें एक चार्जशीट नोएडा प्राधिकरण की पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी नीरा यादव व मेरठ के मंडलायुक्त रहे राजीव कुमार को देकर उन्हें आरोपी बनाया गया था। दूसरे मामले में नीरा यादव पर अपनी पुत्रियों के लिए भूखंड आवंटित करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है। पहली चार्जशीट में राजीव कुमार पर यह आरोप लगाया गया था कि नोएडा अथॉरिटी में डिप्टी सीईओ पद पर रहते हुए सीईओ नीरा यादव के सहयोग से सेक्टर-51 में 450 वर्ग मीटर का एक प्लॉट आवंटित कराया था, जो बाद में सेक्टर-44 ए में परिवर्तित कर दिया गया। उसके बाद बेहद महंगे सेक्टर-14ए में इसे परिवर्तित करा दिया गया और उसका साइज 300 वर्ग मीटर कर दिया गया। भूखंड के पास में 105 वर्ग मीटर खाली पड़ी ग्रीन बेल्ट को भी भूखंड में शामिल कर लिया गया।
दूसरी चार्जशीट में नीरा यादव पर उनकी दो पुत्रियों को नियमों की अनदेखी कर भूखंड आवंटित करने का आरोप का है। चार्जशीट में कहा गया था कि नीरा ने अपनी बेटियो के नाम पर दो दुकानों का आवंटन किया और उसके बाद उसी आधार पर सेक्टर-44में आवासीय भूखंड आवंटित कर दिए।एक भूखंड नीरा यादव ने सेक्टर-14 ए में आवंटित करा लिया।
निचली अदालत ने सुनाई थी तीन साल कैद की सजा
सीबीआई की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए नोएडा प्लाट आवंटन घोटाले में आरोपी नोएडा प्राधिकरण की पूर्व सीईओ एवं प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव तथा प्राधिकरण के पूर्व डिप्टी सीईओ राजीव कुमार को 20नवंबर 2012 को गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की कैद और एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के इस फैसले को नीरा यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 25 फरवरी 2016 में नीरा यादव की याचिका को खारिज कर दिया था। इस मामले में नीरा यादव ने आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था।
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