जदयू के बागी नेता शरद यादव की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सभा से अयोग्य घोषित जदयू के बागी नेता शरद यादव की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिये गये आदेश में संशोधन करते हुये गुरुवार को कहा कि जदयू के पूर्व अध्यक्ष को उनकी याचिका लंबित होने के दौरान वेतन और भत्ते नहीं मिलेंगे लेकिन वह सरकारी बंगले में रह सकते हैं।
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न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने राज्य सभा में जदयू नेता रामचन्द्र प्रसाद सिंह की याचिका पर हाईकोर्ट के पिछले साल 15 दिसंबर के आदेश में संशोधन किया. सिंह ने शरद यादव को वेतन भत्ते प्राप्त करने और नयी दिल्ली में सरकारी आवास में रहने की अनुमति देने के हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने राज्यसभा के सभापति द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित करने के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने शरद यादव द्वारा अपनी अयोग्यता को विभिन्न आधार पर चुनौती देने वाली याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया था.
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यादव का कहना था कि राज्य सभा के सभापति ने चार दिसंबर को उनके और एक अन्य सासंद अली अनवर को अयोग्य घोषित करने का फैसला सुनाने से पहले अपना पक्ष रखने के लिये कोई अवसर प्रदान नहीं किया. सिंह ने हाईकोर्ट में दोनों को अयोग्य करार देने का अनुरोध करते हुये कहा था कि उन्होंने पार्टी के निर्देश का उल्लंघन करते हुये पटना में विपक्षी दलों की सभा में शिरकत की थी. जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पिछले साल जुलाई में राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़कर भाजपा से हाथ मिलाने पर शरद यादव विपक्ष के साथ मिल गये थे.
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