सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर, 16 की गैंगरेप और हत्या की वारदात के चार में से दो दोषियों की मौत की सजा के अमल पर 31 मार्च तक के लिए आज रोक लगा दी। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इस सनसनीखेज वारदात में चारों मुजरिमों की मौत की सजा की पुष्टि की थी।
जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने मुकेश और पवन गुप्ता की अपील पर विचार किया और रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि तत्काल इस आदेश से तिहाड़ जेल के प्रशासन को अवगत कराया जाए।
न्यायाधीशों ने संक्षिप्त आदेश में कहा, 'हम मुकेश और पवन को फांसी देने पर 31 मार्च, 2014 तक के लिए रोक लगाते हैं।' शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि आठ दिन के भीतर यह मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए, ताकि इसे किसी उचित पीठ को आबंटित किया जा सके।
वकील मनोहर लाल शर्मा ने मौत की सजा के अमल पर रोक के लिए आवश्यक याचिका दायर की थी। न्यायाधीशों ने जब यह जानना चाहा कि क्या वह चारों दोषियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो शर्मा ने कहा कि वह सिर्फ मुकेश और पवन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने मुकेश और पवन के साथ ही अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा की भी मौत की सजा की पुष्टि की थी।
इससे पहले हाईकोर्ट ने पिछले गुरुवार को चारों दोषियों की अपील खारिज करते हुए कहा था कि उनका अपराध बहुत ही क्रूर है और इसके लिए ऐसे दंड की जरूरत है जो दूसरों के लिए नजीर बने। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर यह मामला दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आएगा तो फिर शायद कोई भी नहीं होगा।
गौरतलब है कि दक्षिण दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात चलती बस में छह व्यक्तियों ने 23 वर्षीय लड़की से सामूहिक बलात्कार के बाद उसे और उसके मित्र को वाहन से बाहर फेंक दिया था। कई दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझते हुए इस लड़की ने 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
इस वारदात का मुख्य आरोपी राम सिंह पिछले साल मार्च में तिहाड़ जेल में मृत पाया गया था और उसके खिलाफ मुकदमा खत्म कर दिया था। इस मामले का छठा अभियुक्त किशोर था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराते हुए 31 अगस्त, 2013 को अधिकतम तीन साल की सजा सुनाई थी।
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