तमिलनाडु की सीएम जे जयललिता
नई दिल्ली:
तमिलनाडु में मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा राजनीतिक विरोधियों पर आपराधिक मानहानि के मामले दर्ज कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया है. मामले की सुनवाई अक्तूबर के तीसरे हफ्ते में होगी.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जयललिता को नसीहत देते हुए कहा था कि आप पब्लिक फिगर हैं तो आपको आलोचना सहनी चाहिए. आपको इन मामलो में आमने-सामने की लड़ाई लड़नी चाहिए ना कि सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए. तमिलनाडु अकेला राज्य है जिसमें मानहानि के मामलों में बड़े पैमाने पर सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया. सुप्रीम कोर्ट ने जया को दोबारा नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
तमिलनाडु की ओर से बताया गया था कि पांच साल में 213 मामले दर्ज किए गए हैं. पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में उन आपराधिक मानहानि मामलों की लिस्ट मांगी थी जो राज्य सरकार ने दर्ज कराए हैं. कोर्ट ने कहा कि सरकार के भ्रष्टाचार और नाकामी को मानहानि नहीं कहा जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मानहानि को इस तरह पलटवार करने का हथियार नहीं बनाया जा सकता. कोर्ट ने इस कानून को बरकरार रखने का आदेश दिया था लेकिन इसके बावजूद लॉ ऑफिसर के सहारे इस तरह कानून का इस्तेमाल करने की कोशिश हो रही है. लेकिन कोर्ट का काम कानून की रक्षा करना है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट DMDK चीफ विजयकांत की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें जया सरकार ने कानून अफसर के माध्यम से उन पर दर्ज कराए गए आपराधिक मानहानि के मामलों को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों पर रोक लगा रखी है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जयललिता को नसीहत देते हुए कहा था कि आप पब्लिक फिगर हैं तो आपको आलोचना सहनी चाहिए. आपको इन मामलो में आमने-सामने की लड़ाई लड़नी चाहिए ना कि सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए. तमिलनाडु अकेला राज्य है जिसमें मानहानि के मामलों में बड़े पैमाने पर सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया. सुप्रीम कोर्ट ने जया को दोबारा नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
तमिलनाडु की ओर से बताया गया था कि पांच साल में 213 मामले दर्ज किए गए हैं. पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में उन आपराधिक मानहानि मामलों की लिस्ट मांगी थी जो राज्य सरकार ने दर्ज कराए हैं. कोर्ट ने कहा कि सरकार के भ्रष्टाचार और नाकामी को मानहानि नहीं कहा जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मानहानि को इस तरह पलटवार करने का हथियार नहीं बनाया जा सकता. कोर्ट ने इस कानून को बरकरार रखने का आदेश दिया था लेकिन इसके बावजूद लॉ ऑफिसर के सहारे इस तरह कानून का इस्तेमाल करने की कोशिश हो रही है. लेकिन कोर्ट का काम कानून की रक्षा करना है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट DMDK चीफ विजयकांत की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें जया सरकार ने कानून अफसर के माध्यम से उन पर दर्ज कराए गए आपराधिक मानहानि के मामलों को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों पर रोक लगा रखी है.
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