नई दिल्ली: आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट से बरी की गई तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी कर ली है और कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।
सम्पति अर्जित करना गलत नहीं है: सुप्रीम कोर्ट
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि सम्पति अर्जित करना गलत नहीं है। अगर आप सही तरीके से प्रॉपर्टी बनाते तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है। अगर किसी ने एक लाख रुपये का लोन लिया और अपने पास बचे पैसे को मिला कर2 लाख कि कोई प्रॉपर्टी खरीद ली तो उसमें गलत क्या है। गलत तब है जब लोन से लिया गया एक लाख रूपये गलत तरीके से लिए गए हों।
स्पेशल कोर्ट ने सजा दी थी और कर्नाटक हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था
दरअसल आय से अधिक संपत्ति के मामले में स्पेशल कोर्ट ने जया और तीन अन्य को चार साल की सजा और 100करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसकी वजह से उन्हें सितंबर 2014में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी,लेकिन पिछले साल मई मे कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था और कहा था कि अगर आय दस फीसदी ज्यादा हो तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट की याचिका में कहा कि हाइकोर्ट ने संपत्ति का गलत आंकलन किया है
इसके बाद वे फिर से मुख्यमंत्री बनी थीं। कर्नाटक हाई कोर्ट के जयललिता को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के फैसले पर कर्नाटक सरकार और डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर कहा गया था कि हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति का गलत आंकलन किया है। हाईकोर्ट का आदेश सिर्फ तमाशा और गैरकानूनी है। जया को बरी करने से कानून की हार हुई है इसलिए कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए और उनकी सदस्यता को रद्द रखा जाए।