विज्ञापन
This Article is From Jul 06, 2018

CJI ही मास्टर ऑफ़ रोस्टर, SC ने कहा- दुनिया तेजी से बदल रही है लेकिन फंडामेंटल्‍स नहीं बदलेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ही मास्टर ऑफ़ रोस्टर है और इसमें कोई विवाद नहीं है. केसों के आवंटन में CJI का मतलब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया है ना कि कॉलेजियम

CJI ही मास्टर ऑफ़ रोस्टर, SC ने कहा- दुनिया तेजी से बदल रही है लेकिन फंडामेंटल्‍स नहीं बदलेंगे
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ही मास्टर ऑफ़ रोस्टर है और इसमें कोई विवाद नहीं है. केसों के आवंटन में CJI का मतलब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया है ना कि कॉलेजियम. संविधान CJI के मुद्दे पर मौन है लेकिन परपंरा और बाद के फैसलों में सभी द्वारा माना गया है कि CJI बराबर में सबसे पहले हैं. वरिष्ठतम होने की वजह से उन्हें ये अधिकार है. उन्‍होंने कहा कि हम जवाबदेही के वक्त में रह रहे हैं. तकनीक के वक्त में कोई भी आउटकम आलोचना में बदल सकता है. दुनिया तेजी से बदल रही है लेकिन फंडामेंटल्‍स नहीं बदलेंगे. क्या चीफ जस्टिस दूसरे जजों की सलाह से काम करते हैं ? 

SC ने यूनिटेक के यूपी और तमिलनाडु की संपत्तियों को नीलाम करने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक स्तर समेत न्यायिक सुधार जारी रहने वाली प्रक्रिया है. CJI प्रशासनिक मुखिया हैं. याचिकाकर्ता की ये बात ये स्वीकार करना मुश्किल है कि केसों के आवंटन में CJI का मतलब कॉलेजियम है. चीफ जस्टिस के मास्टर ऑफ रोस्टर के तहत केसों के आवंटन पर सवाल उठाने वाली शांति भूषण की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज किया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल (AG) से केस में सहयोग मांगा था कि जजों की नियुक्ति का तरह क्या संवेदनशील केसों के आवंटन के मामले में CJI का मतलब कॉलेजियम होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई विवाद नहीं कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. 

मणिपुर मुठभेड़ मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मानवाधिकार उल्लंघनों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता

अटॉर्नी जनरल की दलील 
- सुप्रीम कोर्ट की बेंच कह चुकी है कि चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर है. 
- शांति भूषण की दलील को अटॉर्नी जनरल ने मांग को अव्यवहारिक बताया था. 

शांति भूषण की दलील 
- कानून मंत्री शांति भूषण ने मांग की है कि 5 वरिष्ठतम जज मिल कर मुकदमों का आवंटन करें. 

जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन हर श्रद्धालु को पूजा की अनुमति दे : सुप्रीम कोर्ट

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल (AG) से केस में सहयोग मांगा था कि जजों की नियुक्ति का तरह क्या संवेदनशील केसों के आवंटन के मामले में CJI का मतलब कॉलेजियम होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई विवाद नहीं कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. 

सुप्रीम कोर्ट का पहले का फैसला 
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई विवाद नहीं कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. प्रथम दृष्टया हमें ये लगता है कि इन हाउस प्रक्रिया को दुरुस्त कर इसका हल हो सकता है, न्यायिक तरीके से नहीं.

1984 सिख विरोधी हिंसा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की याचिका पर सज्जन कुमार को जारी किया नोटिस

आमतौर पर याचिकाएं सीधे रजिस्ट्री द्वारा जजों के पास चली जाती हैं. सिर्फ संवेदनशील मामलों को ही रजिस्ट्री चीफ जस्टिस के पास बेंच के लिए पूछती है. याचिकाकर्ता का कहना था कि हमने याचिका में 14 केस बताएं हैं जिनमें अस्थाना का केस भी शामिल है. इसलिए ऐसे संवेदनशील मामलों में केसों के आवंटन के लिए कॉलेजियम को तय करना चाहिए. किसी एक शख्स को संविधानिक तरीके से एकाधिकार नहीं दिया जा सकता. ये देश की सबसे बड़ी अदालत है जिसे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करनी है. चार वरिष्ठ जज इस मुद्दे को लेकर जनता में चले गए.

VIDEO: दिल्ली में नहीं चलेगी LG की मनमानी!
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com