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This Article is From Sep 13, 2019

SC/ST एक्ट संशोधन एक्ट के खिलाफ याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच के पास भेजा गया

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 20 मार्च को दिए गए फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा निर्देश जारी किए थे.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा. डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित तो नहीं है.  

SC/ST एक्ट संशोधन एक्ट के खिलाफ याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच के पास भेजा गया
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के लिए सिरदर्द बन चुका एससी/एसटी एक्ट (SC/ST ACT) एक बार फिर चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने 20 मार्च 2018 के फैसले  पर पुनर्विचार याचिकाओं को तीन जजों की बेंच के पास भेजा है. इस मामले में केंद्र और अन्य पुनर्विचार याचिकाएं हैं. अब इस पर सुनवाई कर रही पीठ ने प्रधान न्यायाधीश के पास भेजा है और मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी. आपको बता दें कि एक मई को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था और कहा कि देश में कानून एक समान और जाति तटस्थ होने चाहिए. दरअसल  केंद्र सरकार व अन्य ने 20 मार्च 2018  के आदेश पर फिर से विचार करने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने कहा था कि पुनर्विचार याचिका पर फैसला देने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट SC/ST अत्याचार निवारण ( संशोधन ) कानून 2018 का परीक्षण करेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए केंद्र द्वारा यह कानून लाया गया था.  इस नए कानून के तहत फिर से कठोर प्रावधान बरकरार किए गए.  इस संशोधन को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. 

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गौरतलब है  सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 20 मार्च को दिए गए फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा निर्देश जारी किए थे.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा. डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित तो नहीं है.  इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने कहा था कि सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी से पहले सक्षम अधिकारी और सामान्य व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले एसएसपी की मंजूरी ली जाएगी. इतना ही नहीं कोर्ट ने अभियुक्त की अग्रिम जमानत का भी रास्ता खोल दिया था.  इसके बाद सरकार एससी-एसटी संशोधन का नया कानून 2018 में ले आई. इसके खिलाफ वकील पृथ्वीराज चौहान और प्रिया शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के आदेश को किया जाए लागू. एससी-एसटी संशोधन के माध्यम से जोड़े गए नए कानून 2018 में नए प्रावधान 18 A के लागू होने से फिर दलितों को सताने के मामले में तत्काल गिरफ्तारी होगी और अग्रिम जमानत भी नहीं मिल पाएगी. 

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याचिका में नए कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को लोकसभा और राज्यसभा ने पास कर दिया था और इसे नोटिफाई कर दिया गया है.  राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद संशोधन कानून प्रभावी हो गया है. आज के जजमेंट का फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि संसद में संशोधित कानून पास कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी कर दिया गया था.  

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