सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक सामान्य नागरिक के पास आवाज नहीं होती. वो अपनी मांग के लिए कई सालों तक बोट क्लब या जंतर मंतर पर धरना दे लेकिन कोई नहीं सुनता जबकि एक राजनीतिक पार्टी के पास एक प्लेटफार्म होता है. इसके जरिये वो अपनी मांगों को लेकर कहीं भी सैकड़ों लोगों को इकट्ठा कर धरना कर सकती है. विधानसभा या संसद में अपने प्रतिनिधियों के जरिये अपनी आवाज उठा सकती है.
ऐसे में कोर्ट राजनीतिक पार्टियों को ये इजाजत नहीं दे सकता कि वो किसी भी मामले में जनहित याचिका दाखिल करे. अगर सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को जनहित याचिका दाखिल करने की इजाजत दी तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जनहित नहीं बल्कि निजी हित वाले मामलों की भरमार हो जाएगी. किसी भी मामले में ये साफ करना मुश्किल होगा कि कौन सी मांग जनहित की है और कौन सी निजी हित की. कल को कोई पार्टी ये कहते हुए कोर्ट आ जाएगी कि हमारी बात संसद में नहीं सुनी जा रही, कोर्ट हमारी बात सुने.
वहीं स्वराज अभियान की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जनहित के मामले में राजनीतिक पार्टियों को याचिका दाखिल करने की इजाजत हो अगर कोर्ट को लगे कि याचिका में जनहित नहीं राजनीतिक हित हैं तो उसे खारिज किया जा सकता है. या जनहित के मुद्दे को निजी हित से अलग करके सुना जा सकता है.
देश भर में सूखे के हालात और किसानों की दुर्दशा को लेकर स्वराज अभियान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. केंद्र ने कहा है कि कोर्ट को अब स्वराज अभियान की जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि वो अब राजनीतिक पार्टी बन चुकी है. अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी.
इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सूखा राहत फंड बनाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि सूखे के हालात से निपटने के लिए सूखा राहत आपदा फंड बनाया जाना चाहिए. स्वराज अभियान की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से की गई टिप्पणी में कहा गया था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान में एक विशेष टीम का गठन सूखे से निपटने के लिए किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार इसके लिए अलग से फंड का निर्माण करे.
ऐसे में कोर्ट राजनीतिक पार्टियों को ये इजाजत नहीं दे सकता कि वो किसी भी मामले में जनहित याचिका दाखिल करे. अगर सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को जनहित याचिका दाखिल करने की इजाजत दी तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जनहित नहीं बल्कि निजी हित वाले मामलों की भरमार हो जाएगी. किसी भी मामले में ये साफ करना मुश्किल होगा कि कौन सी मांग जनहित की है और कौन सी निजी हित की. कल को कोई पार्टी ये कहते हुए कोर्ट आ जाएगी कि हमारी बात संसद में नहीं सुनी जा रही, कोर्ट हमारी बात सुने.
वहीं स्वराज अभियान की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जनहित के मामले में राजनीतिक पार्टियों को याचिका दाखिल करने की इजाजत हो अगर कोर्ट को लगे कि याचिका में जनहित नहीं राजनीतिक हित हैं तो उसे खारिज किया जा सकता है. या जनहित के मुद्दे को निजी हित से अलग करके सुना जा सकता है.
देश भर में सूखे के हालात और किसानों की दुर्दशा को लेकर स्वराज अभियान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. केंद्र ने कहा है कि कोर्ट को अब स्वराज अभियान की जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि वो अब राजनीतिक पार्टी बन चुकी है. अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी.
इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सूखा राहत फंड बनाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि सूखे के हालात से निपटने के लिए सूखा राहत आपदा फंड बनाया जाना चाहिए. स्वराज अभियान की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से की गई टिप्पणी में कहा गया था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान में एक विशेष टीम का गठन सूखे से निपटने के लिए किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार इसके लिए अलग से फंड का निर्माण करे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं