गोरक्षकों पर प्रतिबंध मामला : सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुआवजा का मामला अलग

इंदिरा जयसिंह ने कहा कि रेलवे ने अभी तक मुआवजा नहीं दिया है. उसकी ट्रेन से फेंककर हत्या कर दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजा का मामला अलग है.

गोरक्षकों पर प्रतिबंध मामला : सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुआवजा का मामला अलग

सुप्रीम कोर्ट में गोरक्षकों के मामले पर सुनवाई

खास बातें

  • फरीदाबाद में हुई जुनैद की हत्या के मामले में मआवजे की मांग
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुआवजे का मामला अलग
  • हर राज्य की मुआवजे की योजनाएं अलग-अलग
नई दिल्ली:

गोरक्षक दलों पर प्रतिबंध लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता तुषार गांधी ने फरीदाबाद में हुई जुनैद की हत्या के मामले में परिवार को तुरंत मुआवजा देने की मांग की. इंदिरा जयसिंह ने कहा कि रेलवे ने अभी तक मुआवजा नहीं दिया है. उसकी ट्रेन से फेंककर हत्या कर दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजा का मामला अलग है. इसे उसके साथ मिक्स नहीं किया जा सकता. हर राज्य की मुआवजा देने की अपनी योजनाएं हैं. वहीं गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, झारखंड और यूपी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाकी राज्य 31 अक्तूबर तक हलफनामा दाखिल करें. महाराष्ट्र ने कहा कि वे आज ही हलफनामा दाखिल करेंगे. इस मामले में 31 अक्तूबर को सुनवाई होगी.

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गौरतलब है कि गोरक्षा के नाम पर बने संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई रह रहा है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा बंद होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर राज्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए हर जिले में वरिष्ठ पुलिस पुलिस अफसर नोडल अफसर बने, जो यह सुनिश्चित करे कि कोई भी विजिलेंटिज्म ग्रुप कानून को अपने हाथों में न ले. अगर कोई घटना होती है तो नोडल अफसर कानून के हिसाब से कार्रवाई करें. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को डीजीपी के साथ मिलकर हाइवे पर पुलिस पेट्रोलिंग को लेकर रणनीति तैयार करें.

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गोरक्षा के नाम पर बने संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. तहसीन पूनावाला और दो अन्य ने याचिका में गोरक्षा के नाम पर दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा रोकने की मांग की है और कहा है कि ऐसी हिंसा करने वाले संगठनों पर उसी तरह से पाबंदी लगाई जाए जिस तरह की पाबंदी सिमी जैसे संगठन पर लगी है.

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याचिका में कहा गया है कि देश में कुछ राज्यों में गोरक्षक दलों को सरकारी मान्यता मिली हुई है, जिससे इनके हौंसले बढ़े हुए है. मांग की गई है कि गोरक्षक दलों की सरकारी मान्यता समाप्त की जाए. याचिका के साथ में गोरक्षक दलों की हिंसा के वीडियो और अखबार की कटिंग लगाई गई है और अदालत से इन पर संज्ञान लेने को कहा गया है.

याचिका में कहा गया है कि गोशाला में गाय की मौत और गोरक्षा के नाम पर गोरक्षक कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं. याचिका में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के उस कानून को असंवैधानिक करार देने की गुहार की गई है, जिसमें गाय की रक्षा के लिए निगरानी समूहों के पंजीकरण का प्रावधान है.


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