कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टरों और हेल्थकेयरकर्मियों को क्वारंटाइन करने के लिए बेहतर इंतजाम की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में डाक्टरों को वेतन ना दिए जाने पर चिंता जाहिर की. कोर्ट ने कहा, 'ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों के डॉक्टरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है. हमने रिपोर्ट देखी कि डॉक्टर हड़ताल पर चले गए. दिल्ली के डॉक्टरों को 3 महीने से भुगतान नहीं किया गया है. ये चिंताएं हैं जिन पर सरकार को जाना चाहिए था. इसके लिए अदालत के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए.' कोर्ट ने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि डॉक्टरों की परेशानियों का समाधान किया जाना चाहिए. मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होनी है.
कोरोना योद्धा डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को ड्यूटी टाइम में अलग आवास मुहैया कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वो कोरोना फ्रंटलाइन योद्धाओं को इस कोरोना युद्ध में असंतुष्ट नहीं रख सकते. याचिकाकर्ता की ओर से के वी विश्वनाथन ने दलील दी कि 'बहुत मुश्किल घड़ी है. चिकित्साकर्मियों को परिवार और समाज से अलग नहीं रखा गया तो उनके परिजन या पारिवारिक मित्र भी संक्रमित हो सकते हैं. सरकार ने खुद अपने SOP में इसका साफ ज़िक्र किया है.'
के वी विश्वनाथन ने बताया कि कई इलाकों में तो डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष आवास की सुविधा खत्म करने के साथ उनकी तनख्वाह भी काटी गई है. सरकार का पक्ष देख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सिर्फ ईक्का-दुक्का ऐसी घटनाएं हुई होंगी.
इस पर के वी विश्वनाथन ने कहा कि डॉक्टर्स के एसोसिएशन्स ने ज्ञापन दिए है. एनेक्सचर में लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'हमने भी रिपोर्ट्स देखी हैं. कई महीनों से डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की तनख्वाह में कटौती या वेतन रोके जाने की बात रिपोर्ट में दर्ज है. दिल्ली के डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों में से कई को तीन-तीन महीनों से वेतन नहीं मिल रहा. ये सब क्या है?'
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