सुप्रीम कोर्ट ने पैंथर पार्टी के भीम सिंह से कहा, पहले दो हफ्ते कश्मीर में रहें, फिर रिपोर्ट दें

सुप्रीम कोर्ट ने पैंथर पार्टी के भीम सिंह से कहा, पहले दो हफ्ते कश्मीर में रहें, फिर रिपोर्ट दें

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

खास बातें

  • भीम सिंह दिल्ली में बैठकर हालात बयां नहीं कर सकते.
  • कश्मीर में जाकर रहें हालात का जायजा लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दें.
  • भीम सिंह ने कहा कि उन्हें कश्मीर में घुसने से 52 बार रोका जा चुका है.
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर गवर्नर रूल लागू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि वह पहले कश्मीर जाकर लोगों के बीच में रहें और हालात का जायजा लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दें.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में सब कुछ बताया है. अब पैंथर पार्टी के भीम सिंह दिल्ली में बैठकर हालात बयां नहीं कर सकते. वह पहले दो हफ्ते तक कश्मीर में रहें और देखें हालात क्या हैं? इसके बाद कोर्ट को बताएं कि वह लोगों के लिए क्या कर सकते हैं?

इसके अलावा वह चाहें तो केंद्र उनके लिए इंतजाम भी कर सकता है हालांकि भीम सिंह ने कहा कि उन्हें कश्मीर में घुसने से 52 बार रोका जा चुका है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा हो तो कोर्ट को बताएं. सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी.

पिछली सुनवाई में जम्मू-कश्मीर के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामले न्यायिक आदेश से नहीं बल्कि राजनीतिक तरीकों से सुलझ सकते हैं. कश्मीर के लोग प्रधानमंत्री से मिल रहे हैं. याचिकाकर्ता भी जाकर मिल सकते हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पेंथर पार्टी के भीम सिंह को कहा कि वह भी सरकार के पास जाकर हालात बताएं.

CJI ठाकुर ने SG को कहा था कि वह भीम सिंह को सरकार से मिलाने की कोशिश करें. अगर सरकार उनसे मिलेगी तो इसमें कोई नुकसान नहीं। SG ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि वह गृहसचिव से बात करेंगे. हालांकि CJI ठाकुर ने भीम सिंह की उस बात पर नाराजगी भी जताई थी जिसमें कहा गया था कि RSS उन्हें पसंद नहीं करता.

CJI ने कहा था कि राजनीतिक बयान नहीं चलेंगे, ऐसे बयान कोर्ट से बाहर जाकर दीजिए। RSS हो या कोई और, इससे कोर्ट को फर्क नहीं पड़ता. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौपीं थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि कश्मीर में 8 जुलाई से शुरू हुई हिंसा में 3 अगस्त तक कुल 872 घटनाओं में 42 नागरिकों की मौत हुई जबकि 2656 नागरिक जख्मी हुए. इस दौरान 3783 सुरक्षाकर्मी घायल हुए जबकि दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई. सबसे ज्यादा हिंसा 10 जुलाई को हुई जब कश्मीर में 153 घटनाएं हुईं, लेकिन अब हालात सुधर रहे हैं पहले 22 में से दस जिलों में कर्फ्यू था और अब सिर्फ तीन जगह श्रीनगर शहर, अनंतनाग शहर और पुलवामा में कर्फ्यू है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले दो हफ्ते से रूल ऑफ गन चल रहा है. लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे, राज्य में जैसे मार्शल लॉ चल रहा है। लोग जेल कैदियों से भी बदतर हालात में रह रहे हैं, उनके पास ना खाना है, नलों में पानी नहीं है और दवा तक नहीं है. राज्य में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है.


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