फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना और प्रदर्शन पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, एनडीएमसी से दो हफ्ते में जवाब मांगा है. दरअसल पंजाब से आई एक रेप पीड़िता ने आरोप लगाया गया है कि रामलीला मैदान में प्रदर्शन के लिए 1 लाख 20 हजार रुपये किराया मांगा गया है. याचिका में कहा गया है कि रामलीला मैदान में संसद से काफी दूर है और प्रदर्शन करना मौलिक अधिकार है. आपको बता दें कि प्रदूषण के चलते एनजीटी ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन से रोक लगा दी है.
विरोध प्रकट करने के अधिकार के लिये दिशानिर्देशों की आवश्यकता है : सुप्रीम कोर्ट
इससे पहले चार दिसंबर को ऐसी ही याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोगों के शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन के मौलिक अधिकार और कानून व्यवस्था बनाए रखने के बीच संतुलन जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. कोर्ट ने कहा था कि धरने प्रदर्शन को नियंत्रित करने को लेकर गाइडलाइन के लिए सिफारिशें केंद्र सरकार और पुलिस कोर्ट में दाखिल करे. कोर्ट ने यातायात संबंधी एजेंसियों से भी प्रदर्शन के वक्त यातायात ठीक से चले इसके लिए गाइडलाइन और सिफारिशें मांगी थी.
वीडियो : बीते साल ही जंतर-मंतर पर हुई थी कार्रवाई
मजदूर किसान शक्ति संगठन ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने के की मांग की है।. याचिका में कहा गया है कि अक्टूबर में एनजीटी ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी जबकि पूरी सेंट्रल दिल्ली में दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा के लिए धारा 144 लगाई गई है. ऐसे में लोगों के शांतिपूर्व प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. उनका ये भी कहना है कि संविधान से मिले मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता और दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की गई धारा 144 मनमानी और गैरकानूनी है. याचिका में संगठन ने सुझाया है कि इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक तौर पर इजाजत दी जा सकती है.
विरोध प्रकट करने के अधिकार के लिये दिशानिर्देशों की आवश्यकता है : सुप्रीम कोर्ट
इससे पहले चार दिसंबर को ऐसी ही याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोगों के शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन के मौलिक अधिकार और कानून व्यवस्था बनाए रखने के बीच संतुलन जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. कोर्ट ने कहा था कि धरने प्रदर्शन को नियंत्रित करने को लेकर गाइडलाइन के लिए सिफारिशें केंद्र सरकार और पुलिस कोर्ट में दाखिल करे. कोर्ट ने यातायात संबंधी एजेंसियों से भी प्रदर्शन के वक्त यातायात ठीक से चले इसके लिए गाइडलाइन और सिफारिशें मांगी थी.
वीडियो : बीते साल ही जंतर-मंतर पर हुई थी कार्रवाई
मजदूर किसान शक्ति संगठन ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने के की मांग की है।. याचिका में कहा गया है कि अक्टूबर में एनजीटी ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी जबकि पूरी सेंट्रल दिल्ली में दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा के लिए धारा 144 लगाई गई है. ऐसे में लोगों के शांतिपूर्व प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. उनका ये भी कहना है कि संविधान से मिले मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता और दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की गई धारा 144 मनमानी और गैरकानूनी है. याचिका में संगठन ने सुझाया है कि इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक तौर पर इजाजत दी जा सकती है.
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