प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के मानेसर में 912 एकड़ जमीन अधिग्रहण मामले में उस समय की कांग्रेस सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि उस समय की सरकार का निर्णय सत्ता के साथ धोखाधड़ी करने जैसा है. उस समय की सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून बिल्डरों और निजी संस्थाओं को समृद्ध करने के लिए डिजाइन किया था. रिकॉर्ड से पता चलता है कि कुछ बिचौलियों के साथ-साथ विभिन्न संस्थाओं को अप्राकृतिक रूप से लाभ दिलाया गया है.
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कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि बिल्डरों और निजी संस्थाओं को अच्छी तरह से पता था कि अधिग्रहण नहीं होगा. जमीन मालिक अधिग्रहण की आशंका के चलते ही बिल्डरों को जमीन बेचने को मजूबर हुए. अधिग्रहण की धमकी के तहत जमीन मालिकों और संबंधित बिल्डरों / निजी संस्थाओं ने आपस में लेन-देन किए. इस लेनदेन के दौरान बिचौलियों और बिल्डरों ने अपने फायदे के हिसाब से जमीन की कीमत तय की. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को एक सील बंद लिफाफे में अपनी जांच दाखिल की थी.
यह भी पढ़ें: बिहार : विवादित जमीन की रखवाली में लगाए गए पुलिस कर्मी ने ही खरीद ली जमीन
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन हुडा सरकार पर कंपनी को भी फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. इससे पहले 17 अप्रैल 2017 को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ढींगडा कमिशन की रिपोर्ट दाखिल की थी. इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने मानेसर में निर्माण कार्य पर रोक लगाई थी. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान राज्य के अधिकारियों और केंद्र सरकार को इस तरह के लेनदेन की गंभीरता से जांच करने और पैसे को दोबारा से हासिल करने को कहा है.
VIDEO: जमीन अधिग्रहण में भेदभाव का लगाया आरोप.
सीबीआई इस मामले में लेनदेन में "बिचौलियों" को हुए लाभ की पूरी जांच करेगा. कोर्ट ने कहा कि इन जमीन मालिकों को बिल्डरों से जो भी पैसा मिला है वो मुआवजे के तौर पर माना जाएगा.
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कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि बिल्डरों और निजी संस्थाओं को अच्छी तरह से पता था कि अधिग्रहण नहीं होगा. जमीन मालिक अधिग्रहण की आशंका के चलते ही बिल्डरों को जमीन बेचने को मजूबर हुए. अधिग्रहण की धमकी के तहत जमीन मालिकों और संबंधित बिल्डरों / निजी संस्थाओं ने आपस में लेन-देन किए. इस लेनदेन के दौरान बिचौलियों और बिल्डरों ने अपने फायदे के हिसाब से जमीन की कीमत तय की. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को एक सील बंद लिफाफे में अपनी जांच दाखिल की थी.
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सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन हुडा सरकार पर कंपनी को भी फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. इससे पहले 17 अप्रैल 2017 को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ढींगडा कमिशन की रिपोर्ट दाखिल की थी. इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने मानेसर में निर्माण कार्य पर रोक लगाई थी. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान राज्य के अधिकारियों और केंद्र सरकार को इस तरह के लेनदेन की गंभीरता से जांच करने और पैसे को दोबारा से हासिल करने को कहा है.
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सीबीआई इस मामले में लेनदेन में "बिचौलियों" को हुए लाभ की पूरी जांच करेगा. कोर्ट ने कहा कि इन जमीन मालिकों को बिल्डरों से जो भी पैसा मिला है वो मुआवजे के तौर पर माना जाएगा.
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