सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
पूर्व संचार मंत्री सुखराम ने सुप्रीम कोर्ट से अपने मामले की सुनवाई जल्दी करने की मांग की है. उन्होंने कोर्ट से कहा कि मैं 92 साल का हूं और यह नहीं चाहता कि मेरी मौत एक दोषी आदमी के रूप में हो. इसलिए मैं कोर्ट से अपील करता हूं कि वह मेरे मामले की सुनवाई जल्दी करे. गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी 2011 में सुखराम को दोषी ठहराने के साथ निजली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था. निचली अदालत ने 1993 में संचार उपकरणों की खरीद के मामले में हैदराबाद की एक कंपनी को लाभ पहुंचाने के आरोप में 2002 में सुखराम को सजा सुनाई थी. सुखराम की इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने संज्ञान लिया.
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पीठ ने कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि अपीलकर्ता जमानत पर है. हालांकि, उसका कहना है कि वह अपराधी के ठप्पे के साथ इस दुनिया से विदा नहीं होना चाहता. जैसा भी यह है, इस मामले में तीन अपीलें है जो 2012 से संबंधित हैं. अपीलकर्ताओं के वकील और सीबीआई के वकील पी के डे को ग्रीष्मावकाश की पीठ के समक्ष मई 2018 के पहले सप्ताह में इन अपीलों को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर कोई आपत्ति नहीं है. तदनुसार आदेश दिया जाता है.
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ध्यान हो कि उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सुखराम की अपील को खारिज करते हुए दूरसंचार विभाग में तत्कालीन निदेशक रूनू घोष और एडवांस्ड रेडियो मास्ट्स प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक पी रामा राव को दोषी ठहराने के फैसले को भी बरकरार रखा था.
VIDEO: पूर्व मंत्री को मिली जमानत.
सुखराम, घोष और राव को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दोषी ठहराया गया था. हालांकि सुखराम को आपराधिक साजिश के आरोप से मुक्त कर दिया गया था. (इनुपट भाषा से)
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पीठ ने कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि अपीलकर्ता जमानत पर है. हालांकि, उसका कहना है कि वह अपराधी के ठप्पे के साथ इस दुनिया से विदा नहीं होना चाहता. जैसा भी यह है, इस मामले में तीन अपीलें है जो 2012 से संबंधित हैं. अपीलकर्ताओं के वकील और सीबीआई के वकील पी के डे को ग्रीष्मावकाश की पीठ के समक्ष मई 2018 के पहले सप्ताह में इन अपीलों को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर कोई आपत्ति नहीं है. तदनुसार आदेश दिया जाता है.
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ध्यान हो कि उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सुखराम की अपील को खारिज करते हुए दूरसंचार विभाग में तत्कालीन निदेशक रूनू घोष और एडवांस्ड रेडियो मास्ट्स प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक पी रामा राव को दोषी ठहराने के फैसले को भी बरकरार रखा था.
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सुखराम, घोष और राव को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दोषी ठहराया गया था. हालांकि सुखराम को आपराधिक साजिश के आरोप से मुक्त कर दिया गया था. (इनुपट भाषा से)