भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के करीबी सहयोगी रहे सुधींद्र कुलकर्णी ने मोदी सरकार के गरीब सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण देने के फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि, 'रिजर्वेशन देने से बेरोजगारी का हल नहीं निकलेगा'. कुलकर्णी ने कहा कि आरक्षण के बावजूद एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के हजारों लोग बेरोजगार हैं. सरकारी नौकरियों की संख्या दिन- प्रतिदिन घटती जा रही है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के इस फैसले का उच्च जातियों को नाममात्र का ही लाभ होगा. आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार (PM Modi Govt) ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरी में आरक्षण (Quota for Upper Castes) देने का फैसला किया है. सवर्णों को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा, यह आरक्षण 50 फीसदी की सीमा से अलग होगा. केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को इस संशोधन को मंजूरी दे दी. इसके लिए सरकार संविधान संशोधन बिल (Constitutional Amendment Bill) लेकर आएगी.
गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में मिलेगा आरक्षण
दूसरी तरफ, मोदी सरकार के इस फैसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने कहा कि यह संसद में पास नहीं हो सकता है और न ही कोर्ट इसे मानेगी. उनका कहना है कि आरक्षण 50 फ़ीसदी से ज़्यादा हो नही सकता है. या तो जाति आधारित ख़त्म कर दें और आर्थिक आधार पर अपना लें. दोनों साथ नहीं हो सकता. आपको बता दें कि संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही भी एक दिन के लिए बढ़ाकर नौ जनवरी तक कर दी गई है. बताया जा रहा है कि आरक्षण के लिए प्रस्तावित विधेयक पेश के लिए ही राज्यसभा की कार्यवाही में एक दिन का विस्तार किया गया है. सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सरकार के अनुरोध पर सहमति जताकर उच्च सदन की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ा दी.
सवर्ण आरक्षण बिल को पारित करने के लिए मोदी सरकार के पास सिर्फ एक दिन!
VIDEO: सवर्णों को आरक्षण के मुद्दे पर बोले केटीएस तुलसी, यह सिर्फ लुभाने की कोशिश
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