नई दिल्ली:
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को लेकर तीखे मतभेद गुरुवार को खुले तौर तब सामने आ गए जब पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के करीबी सहयोगी सुधीन्द्र कुलकर्णी ने कहा कि मोदी सामाजिक रूप से ध्रुवीकरण करने वाले नेता हैं जबकि बिहार भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मोदी के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।
कुलकर्णी ने ट्वीटर पर मोदी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘सामाजिक रूप से ध्रुवीकरण करने वाले नेता ने अपनी खुद की पार्टी का ध्रुवीकरण कर दिया है। क्या वह केन्द्र में सुचारू, स्थिर और प्रभावी सरकार दे सकेंगे। गंभीरता से सोचिए।’’
समझा जाता है कि आडवाणी मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने से सहमत नहीं हैं, हालांकि इस मुद्दे पर अभी उन्होंने खुलकर कुछ नहीं कहा है। लेकिन आडवाणी के अत्यंत ही करीबी कुलकर्णी की इस टिप्पणी का समय बहुत महत्वपूर्ण है और इसे आडवाणी के विचारों की प्रतिध्वनि के रूप में देखा जा रहा है।
कुलकर्णी ने उक्त टिप्पणी के अलावा एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘चुनाव सात माह दूर हैं। जनता परिवर्तन चाहती है। लेकिन कौन यह परिवर्तन लाएगा? वे नेता जो समाज का ध्रुवीकरण कर रहे हैं?’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर भाजपा में कोई एकमतता नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सवाल तो उठेगा कि क्या ऐसा नेता सुचारू सरकार और समाज में शांति सुनिश्चित कर सकता है।’’
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को लेकर आडवाणी को मनाने के प्रयासों के बीच बिहार से पार्टी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आडवाणीजी जन भावना को समझने में विफल रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी के नाम को अंतिम रूप देने में आडवाणी पार्टी की राह में रोड़ा बन रहे हैं।
बिहार भाजपा के एक वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘‘आडवाणी जी जन भावना को समझने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि आडवाणी जी ने स्वयं अटल जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था और ऐसा ही वे अब नरेंद्र मोदी के लिए कर सकते थे।’’ उन्होंने बाद में टेलीविजन चैनलों से कहा कि पूरा देश विशेष रूप से बिहार मोदी को चाहता है। बिहार में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ता मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में चाहते हैं।
उन्होंने यद्यपि बाद में अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि राजनीति ही एक ऐसा पेशा है जिसमें लोग अपने आखिरी समय तक आकांक्षा रखते हैं। यह बयान कि मंत्रिपद एक मृत राजनीतिज्ञ को भी जीवित कर सकता है?..आडवाणी के संबंध में नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘यह सामान्य टिप्पणी है..आडवाणी हमारे सबसे वरिष्ठ नेता रहेंगे।’’
कुलकर्णी ने ट्वीटर पर मोदी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘सामाजिक रूप से ध्रुवीकरण करने वाले नेता ने अपनी खुद की पार्टी का ध्रुवीकरण कर दिया है। क्या वह केन्द्र में सुचारू, स्थिर और प्रभावी सरकार दे सकेंगे। गंभीरता से सोचिए।’’
समझा जाता है कि आडवाणी मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने से सहमत नहीं हैं, हालांकि इस मुद्दे पर अभी उन्होंने खुलकर कुछ नहीं कहा है। लेकिन आडवाणी के अत्यंत ही करीबी कुलकर्णी की इस टिप्पणी का समय बहुत महत्वपूर्ण है और इसे आडवाणी के विचारों की प्रतिध्वनि के रूप में देखा जा रहा है।
कुलकर्णी ने उक्त टिप्पणी के अलावा एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘चुनाव सात माह दूर हैं। जनता परिवर्तन चाहती है। लेकिन कौन यह परिवर्तन लाएगा? वे नेता जो समाज का ध्रुवीकरण कर रहे हैं?’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर भाजपा में कोई एकमतता नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सवाल तो उठेगा कि क्या ऐसा नेता सुचारू सरकार और समाज में शांति सुनिश्चित कर सकता है।’’
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को लेकर आडवाणी को मनाने के प्रयासों के बीच बिहार से पार्टी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आडवाणीजी जन भावना को समझने में विफल रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी के नाम को अंतिम रूप देने में आडवाणी पार्टी की राह में रोड़ा बन रहे हैं।
बिहार भाजपा के एक वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘‘आडवाणी जी जन भावना को समझने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि आडवाणी जी ने स्वयं अटल जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था और ऐसा ही वे अब नरेंद्र मोदी के लिए कर सकते थे।’’ उन्होंने बाद में टेलीविजन चैनलों से कहा कि पूरा देश विशेष रूप से बिहार मोदी को चाहता है। बिहार में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ता मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में चाहते हैं।
उन्होंने यद्यपि बाद में अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि राजनीति ही एक ऐसा पेशा है जिसमें लोग अपने आखिरी समय तक आकांक्षा रखते हैं। यह बयान कि मंत्रिपद एक मृत राजनीतिज्ञ को भी जीवित कर सकता है?..आडवाणी के संबंध में नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘यह सामान्य टिप्पणी है..आडवाणी हमारे सबसे वरिष्ठ नेता रहेंगे।’’
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