नई दिल्ली:
केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कोयला ब्लॉक आवंटन में अनुचित तरीका अपनाने और भाई-भतीजावाद के आरोपों का खंडन करते हुए शुक्रवार को कहा कि उन्होंने अपने भाई की कम्पनी एसकेएस इस्पात एंड पावर लिमिटेड का कभी पक्ष नहीं लिया।
सहाय ने कहा, "मैं न तो उस कम्पनी का साझेदार हूं और न ही निदेशक। जहां तक मेरे भाई सुधीर सहाय के पेशे और व्यवसाय का सवाल है, तो वह भी पूरी तरह आत्मनिर्भर है।"
सहाय पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था, जिसके बाद ही एसकेएस इस्पात कम्पनी को कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया। इसके अगले दिन मीडिया से बातचीत में सहाय ने कहा कि उन्होंने जब प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा, तब तक ब्लॉक आवंटित किए जा चुके थे।
सहाय ने कहा, "प्रधानमंत्री कार्यालय को मेरे पत्र लिखने से बहुत पहले ही फतेहपुर कोयला ब्लॉक एसकेएस इस्पात और प्रकाश इंडस्ट्रीज को आवंटित किए जा चुके थे। उन्होंने कहा, "एसकेएस उनके नाम पर नहीं है, बल्कि कम्पनी का नाम श्री कृष्णा स्ट्रक्चर्स है।"
ज्ञात हो कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने इस महीने की शुरुआत में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉक आवंटित किए जाने में पारदर्शिता नहीं रखी गई जिस कारण पिछले वर्ष 11 मार्च को किए गए अंकेक्षण के अनुसार राजकोष को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सहाय ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दे को लेकर उनकी छवि खराब कर रही है। उन्होंने कहा, "भाजपा झूठ गढ़ने में माहिर है और यही वजह है कि वह संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रही है। मेरे खिलाफ आरोप झूठ का एक पुलिंदा है।"
सहाय के अनुसार, एसकेएस इस्पात एंड पावर लिमिटेड ने फतेहपुर कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए जनवरी 2007 में आवेदन दिया था।
स्क्रीनिंग कमेटी ने फतेहपुर कोयला ब्लॉक का आवंटन एसकेएस इस्पात और प्रकाश इंडस्ट्रीज को संयुक्त रूप से करने का फैसला लिया। दोनों कम्पनियों को नवम्बर 2007 में पत्र जारी किए गए थे।
सहाय ने कहा, "मैं न तो उस कम्पनी का साझेदार हूं और न ही निदेशक। जहां तक मेरे भाई सुधीर सहाय के पेशे और व्यवसाय का सवाल है, तो वह भी पूरी तरह आत्मनिर्भर है।"
सहाय पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था, जिसके बाद ही एसकेएस इस्पात कम्पनी को कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया। इसके अगले दिन मीडिया से बातचीत में सहाय ने कहा कि उन्होंने जब प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा, तब तक ब्लॉक आवंटित किए जा चुके थे।
सहाय ने कहा, "प्रधानमंत्री कार्यालय को मेरे पत्र लिखने से बहुत पहले ही फतेहपुर कोयला ब्लॉक एसकेएस इस्पात और प्रकाश इंडस्ट्रीज को आवंटित किए जा चुके थे। उन्होंने कहा, "एसकेएस उनके नाम पर नहीं है, बल्कि कम्पनी का नाम श्री कृष्णा स्ट्रक्चर्स है।"
ज्ञात हो कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने इस महीने की शुरुआत में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉक आवंटित किए जाने में पारदर्शिता नहीं रखी गई जिस कारण पिछले वर्ष 11 मार्च को किए गए अंकेक्षण के अनुसार राजकोष को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सहाय ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दे को लेकर उनकी छवि खराब कर रही है। उन्होंने कहा, "भाजपा झूठ गढ़ने में माहिर है और यही वजह है कि वह संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रही है। मेरे खिलाफ आरोप झूठ का एक पुलिंदा है।"
सहाय के अनुसार, एसकेएस इस्पात एंड पावर लिमिटेड ने फतेहपुर कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए जनवरी 2007 में आवेदन दिया था।
स्क्रीनिंग कमेटी ने फतेहपुर कोयला ब्लॉक का आवंटन एसकेएस इस्पात और प्रकाश इंडस्ट्रीज को संयुक्त रूप से करने का फैसला लिया। दोनों कम्पनियों को नवम्बर 2007 में पत्र जारी किए गए थे।
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