नई दिल्ली:
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के 21 वर्षीय परास्नातक के छात्र ने शुक्रवार को कथित रूप से छात्रावास के अपने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी।
पुलिस उपायुक्त (उत्तर) सिंधु पिल्लई ने कहा, "बिहार के नालंदा जिले का रहने वाला शशि शेखर विश्वविद्यालय परिसर में हिंदू कॉलेज के छात्रावास के कमरा नंबर 112 में अकेले रह रहा था। छात्रावास के साथियों में से एक ने उसे आज (शुक्रवार) सुबह 9.30 बजे फंदे से झूलते पाया और तत्काल वार्डन को इसकी जानकारी दी।"
पुलिस के मुताबिक शव को पोस्टमार्टम के लिए बाड़ा हिंदू राव अस्पताल भेजा गया है। उसके परिवार को उसकी दुखद मौत की सूचना दे दी गई है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "शेखर के पिता बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।"
पिल्लई ने कहा, "कक्षा की एक पुस्तिका शेखर के कमरे से बरामद की गई है। इसके एक पृष्ठ पर उसने लिखा है- 'यही मेरी कहानी है : मरे हुए के लिए क्या हम कुछ नहीं कर सकते? लंबे समय से इस सवाल का जवाब नहीं मिला है।' इस टिप्पणी के अंत में हिंदी में उसके हस्ताक्षर हैं।"
हिंदू कॉलेज के प्रिंसिपल प्रद्युम्न कुमार ने कहा, "शेखर ने बैचलर ऑफ आर्ट्स (हिंदी साहित्य) की परीक्षा में टॉप किया था। उसने स्वर्ण पदक जीता था और मास्टर ऑफ आर्ट्स (हिंदी साहित्य) में उसे छात्रवृत्ति मिल रही थी।"
छात्रावास में रहने वाले एक छात्र ने कहा कि शेखर को छात्रावास में गुरुवार की रात लगभग दो बजे अंतिम बार देखा गया था। इसके बाद वह अपने कमरे में चला गया।
छात्रावास के एक कर्मचारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "उसकी कक्षा की एक दोस्त ने सुबह में उसे फोन किया था। लेकिन शेखर ने फोन नहीं उठाया। तब लड़की ने छात्रावास में रहने वाले एक अन्य दोस्त दीपक से उसके बारे में पूछा। तब दीपक ने शेखर का दरवाजा खटखटाया। जब कोई जवाब नहीं मिला तो उसने खिड़की से झांका। शेखर सीलिंग फैन से झूल रहा था।"
पुलिस अधिकारी ने कहा, "हम आत्महत्या के इस मामले की हर कोण से जांच कर रहे हैं।"
पुलिस उपायुक्त (उत्तर) सिंधु पिल्लई ने कहा, "बिहार के नालंदा जिले का रहने वाला शशि शेखर विश्वविद्यालय परिसर में हिंदू कॉलेज के छात्रावास के कमरा नंबर 112 में अकेले रह रहा था। छात्रावास के साथियों में से एक ने उसे आज (शुक्रवार) सुबह 9.30 बजे फंदे से झूलते पाया और तत्काल वार्डन को इसकी जानकारी दी।"
पुलिस के मुताबिक शव को पोस्टमार्टम के लिए बाड़ा हिंदू राव अस्पताल भेजा गया है। उसके परिवार को उसकी दुखद मौत की सूचना दे दी गई है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "शेखर के पिता बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।"
पिल्लई ने कहा, "कक्षा की एक पुस्तिका शेखर के कमरे से बरामद की गई है। इसके एक पृष्ठ पर उसने लिखा है- 'यही मेरी कहानी है : मरे हुए के लिए क्या हम कुछ नहीं कर सकते? लंबे समय से इस सवाल का जवाब नहीं मिला है।' इस टिप्पणी के अंत में हिंदी में उसके हस्ताक्षर हैं।"
हिंदू कॉलेज के प्रिंसिपल प्रद्युम्न कुमार ने कहा, "शेखर ने बैचलर ऑफ आर्ट्स (हिंदी साहित्य) की परीक्षा में टॉप किया था। उसने स्वर्ण पदक जीता था और मास्टर ऑफ आर्ट्स (हिंदी साहित्य) में उसे छात्रवृत्ति मिल रही थी।"
छात्रावास में रहने वाले एक छात्र ने कहा कि शेखर को छात्रावास में गुरुवार की रात लगभग दो बजे अंतिम बार देखा गया था। इसके बाद वह अपने कमरे में चला गया।
छात्रावास के एक कर्मचारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "उसकी कक्षा की एक दोस्त ने सुबह में उसे फोन किया था। लेकिन शेखर ने फोन नहीं उठाया। तब लड़की ने छात्रावास में रहने वाले एक अन्य दोस्त दीपक से उसके बारे में पूछा। तब दीपक ने शेखर का दरवाजा खटखटाया। जब कोई जवाब नहीं मिला तो उसने खिड़की से झांका। शेखर सीलिंग फैन से झूल रहा था।"
पुलिस अधिकारी ने कहा, "हम आत्महत्या के इस मामले की हर कोण से जांच कर रहे हैं।"
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