प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कठिनाइयों से पार पाते हुए शीर्ष पर पहुंचने के सफर को बयां करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नरेंद्र मोदी की असली ताकत उनके मजबूत इरादे हैं। उनके इरादों की मजबूती ठीक वैसी ही है, जैसी खिलाड़ियों की होती है।
आज से 15 साल पहले जब दोनों नेता बीजेपी प्रवक्ता थे, तभी से जेटली ने मोदी को काफी करीब से देखा और यह पाया कि वह (मोदी) अनुशासन के मामले में खुद को भी ढील नहीं देते और उनमें गहरा आत्मविश्वास है।
जेटली ने कहा कि अपने इन्हीं गुणों के कारण वह विकास के अपने एजेंडे को विरोध के स्वरों के बावजूद आगे ले जाते हैं। उनके इन्हीं गुणों के कारण वह राजनैतिक परिदृश्य में बेजोड़ दिखाई देते हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल रहे अरुण जेटली ने कहा, सरकार में रहते हुए, यह कहने की जरूरत नहीं कि वह बेहद मेहनती हैं और लगातार काम करते रहते हैं। हर विभाग के बारे में उन्हें स्पष्ट रूप से पता रहता है कि किस-किसको क्या-क्या करना है।
प्रधानमंत्री मोदी के उत्थान के बारे में जेटली ने कहा कि इस दिशा में उनके कई गुणों का योगदान है। मोदी बेहद कुशाग्र हैं, उनमें सीखने की अद्भुत लगन है और वह एक अंतरराष्ट्रीय नेता के तौर पर तालमेल बैठाने की क्षमता रखते हैं। जेटली ने कहा, उनमें सीखने की गजब की लगन है और इसलिए वह यहां तक पहुंचे हैं... और अब जब उन्हें डिप्लोमेसी में अपनी छाप छोड़ने का मौका मिल रहा है, तो आप देख सकते हैं कि कुछ ही महीनों के भीतर वह एक मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री और फिर एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय नेता के रूप में सामने आए हैं।
जेटली ने कहा, मुझे नहीं लगता कि राजनैतिक परिदृश्य में ऐसे ज्यादा लोग होंगे, जो यह सब इतनी तेजी से कर सके होंगे। मोदी की लगन और लक्ष्य पर उनकी सधी हुई नजर के बारे में जेटली ने कहा, मुझे लगता है कि उनकी असली ताकत तब दिख गई थी, जब वह गुजरात गए थे...मुझे लगता है कि वह उनकी स्वीकार्यता की असली परीक्षा थी।
2002 के गुजरात दंगों के दौरान कानून और मीडिया द्वारा ली गई परीक्षा का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि मोदी ने 'विरोधी स्वरों' से परेशान हुए बिना विकास के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करते हुए राज्य पर शासन किया।
2002 दंगों के बाद मोदी के सामने पेश आई कठिनाइयों के बारे में जेटली ने कहा कि अधिकतर लोग उनके नजरिए को सामने लाने तक के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन उन्होंने मीडिया की परवाह किए बिना सीधे जनता से संवाद किया और अपना रोडमैप तथा एजेंडा तैयार किया...ये एजेंडा था, गुजरात का विकास।
जेटली ने कहा, और जो मैंने उनके मजबूत इरादों की बात कही, (मैं कहना चाहता हूं) कि वह अगले 10- 12 साल तक इस एजेंडे से भटके नहीं और अपने आलोचकों के एजेंडे पर प्रतिक्रिया देने की बजाय उन्होंने अपने एजेंडे को केंद्र में रखा और अंतत: सफल हुए।
मोदी की क्षमताओं का वर्णन करते हुए जेटली ने कहा, उनका अपने आपमें और अपने काम में बहुत भरोसा है। इस संदर्भ में उन्होंने मोदी द्वारा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मंच पर हिन्दी के इस्तेमाल और तात्कालिक तौर पर अंग्रेजी में दिए भाषणों का हवाला दिया। हाल ही में मोदी ने ऑस्ट्रेलिया में अंग्रेजी में भाषण दिया था।
केंद्र में सरकार चलाने की उनकी क्षमताओं के बारे में जेटली ने कहा कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद उनके (मोदी के) पास गुजरात में सरकार चलाने का 12 साल का अनुभव है। मोदी खुद बेहद मेहनती हैं और हमेशा काम में लगे रहते हैं। वह इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हैं कि सरकार के प्रत्येक विभाग को क्या करना है। उन्होंने कहा, उनकी इस पर खास पकड़ है। उनका नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है। वह अपने कार्यालय में अपनी मूल टीम के साथ-साथ नौकरशाहों और मंत्रियों से भी जानकारी लेते रहते हैं।
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