शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
मुंबई:
पठानकोट हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चारों ओर से आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं। अब केंद्र में एनडीए गठबंधन का हिस्सा और महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी अपने मुखपत्र में पीएम मोदी को सलाह दी है कि 'माकूल जवाब दिए बगैर पठानकोट और मुंबई जैसे हमले नहीं रुकने वाले।'
2 जनवरी को पठानकोट एयरबेस पर हमले में 7 सेना के जवान शहीद हो गए, वहीं 20 सैनिक घायल हो गए थे। सीमा पार से आए जैश-ए-मोहम्मद संगठन के आतंकवादियों द्वारा किए गए इस हमले के बाद पिछळे हफ्ते विदेश मंत्रालय के प्रवक्त विकास स्वरूप ने कहा था कि अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है और इस घटना को अंजाम देने वालों के खिलाफ पाकिस्तान को जल्द से जल्द कार्यवाही करनी होगी।
'चाय के बदले जवानों की मौत'
शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में कहा गया है बताया जा रहा है कि गेंद अब पाकिस्तान के पाले में है। लेकिन 2000 के संसद हमले और 2008 के मुंबई हमले के लिए भी पाकिस्तान के पाले में ही गेंद थी। वह हमें निशाना बनाते हैं और हम अगले हमले के इंतज़ार में उनके पाले में गेंद डालते जाते हैं।
इससे पहले सामना में छपे एक संपादकीय में आपसी रिश्ते सुधारने की दिशा में पीएम मोदी द्वारा की गई आकस्मिक पाकिस्तान यात्रा की भी काफी आलोचना हुई थी। मुखपत्र में लिखा गया है कि 'नवाज़ शरीफ के साथ एक कप चाय के बदले हमारे सात जवानों को शहीद होना पड़ा।'
2 जनवरी को पठानकोट एयरबेस पर हमले में 7 सेना के जवान शहीद हो गए, वहीं 20 सैनिक घायल हो गए थे। सीमा पार से आए जैश-ए-मोहम्मद संगठन के आतंकवादियों द्वारा किए गए इस हमले के बाद पिछळे हफ्ते विदेश मंत्रालय के प्रवक्त विकास स्वरूप ने कहा था कि अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है और इस घटना को अंजाम देने वालों के खिलाफ पाकिस्तान को जल्द से जल्द कार्यवाही करनी होगी।
'चाय के बदले जवानों की मौत'
शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में कहा गया है बताया जा रहा है कि गेंद अब पाकिस्तान के पाले में है। लेकिन 2000 के संसद हमले और 2008 के मुंबई हमले के लिए भी पाकिस्तान के पाले में ही गेंद थी। वह हमें निशाना बनाते हैं और हम अगले हमले के इंतज़ार में उनके पाले में गेंद डालते जाते हैं।
इससे पहले सामना में छपे एक संपादकीय में आपसी रिश्ते सुधारने की दिशा में पीएम मोदी द्वारा की गई आकस्मिक पाकिस्तान यात्रा की भी काफी आलोचना हुई थी। मुखपत्र में लिखा गया है कि 'नवाज़ शरीफ के साथ एक कप चाय के बदले हमारे सात जवानों को शहीद होना पड़ा।'
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