फाइल फोटो
नई दिल्ली:
कहने को सरकार भले ही ये कह रही हो कि कश्मीर में परीक्षा और नोटबंदी की वजह से अब पत्थरबाजी खत्म होने के कगार पर है लेकिन आंकड़े कुछ और ही बात कहते हैं. इसके मुताबिक कश्मीर में हिजुबल के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद जारी पत्थरबाजी पर नोटबंदी का कोई खास असर नही हुआ है. हां ये सच्चाई है कि पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी बेशक आई है लेकिन इसके पीछे वजह नोटबंदी तो कम से कम नही है.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक आठ नवंबर की रात को नोटबंदी के ऐलान के बाद अब तक कश्मीर में पत्थरबाजी की 15 घटनाएं हुईं. इनमें से 10 घटनाएं कश्मीर के अलग -अलग इलाकों में सिर्फ रविवार को ही हुई . वैसे कश्मीर में एक नवंबर से लेकर 14 नवंबर तक पत्थरबाजी की कुल 49 घटनाएं हुई. अगर इनमें से नोटबंदी के बाद वाली 15 घटनाएं निकाल दी जाएं तो इस महीने पहले आठ दिनों में पत्थरबाजी की 34 घटनाएं हुई.
पत्थरबाजी की घटनाओं में आने वाली कमी को सरकारी तौर पर नोटबंदी से जोड़ा जा रहा है. पर यह सच्चाई नहीं है. अगर पत्थरबाजी की घटनाओं के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो यह साफ होता है कि आठ जुलाई को बुरहान वानी की मौत के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में अचानक आया उछाल अगले दिनों में कम होता गया था.
इसी साल जुलाई में मात्र 21 दिनों में कश्मीर में पत्थरबाजी की 820 घटनाएं हुईं. अगस्त में ये आंकड़ा 747 पहुंच गया वहीं सितंबर में पत्थरबाजी की मात्र 157 घटनाएं हुईं. अक्टूबर में तो पत्थरबाजी की सिर्फ 119 घटनाएं हुईं.
जानकार मानते हैं कि पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी राज्य तथा केंद्र सरकार की कोशिश और सुरक्षाबलों की सख्ती के बाद ही आई है. ये इस बात से भी जाहिर होता है कि नवंबर के पहले 14 दिनों में पत्थरबाजी का आंकड़ा सिमट कर 49 रह गया था. तभी तो जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर इस बात पर गुस्सा जताया है कि जम्मू-कश्मीर के युवकों पर यह आरोप लगाना गलत है कि वे 500-1000 रुपयों के नोटों के लिए पत्थर मारते रहे हैं.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक आठ नवंबर की रात को नोटबंदी के ऐलान के बाद अब तक कश्मीर में पत्थरबाजी की 15 घटनाएं हुईं. इनमें से 10 घटनाएं कश्मीर के अलग -अलग इलाकों में सिर्फ रविवार को ही हुई . वैसे कश्मीर में एक नवंबर से लेकर 14 नवंबर तक पत्थरबाजी की कुल 49 घटनाएं हुई. अगर इनमें से नोटबंदी के बाद वाली 15 घटनाएं निकाल दी जाएं तो इस महीने पहले आठ दिनों में पत्थरबाजी की 34 घटनाएं हुई.
पत्थरबाजी की घटनाओं में आने वाली कमी को सरकारी तौर पर नोटबंदी से जोड़ा जा रहा है. पर यह सच्चाई नहीं है. अगर पत्थरबाजी की घटनाओं के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो यह साफ होता है कि आठ जुलाई को बुरहान वानी की मौत के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में अचानक आया उछाल अगले दिनों में कम होता गया था.
इसी साल जुलाई में मात्र 21 दिनों में कश्मीर में पत्थरबाजी की 820 घटनाएं हुईं. अगस्त में ये आंकड़ा 747 पहुंच गया वहीं सितंबर में पत्थरबाजी की मात्र 157 घटनाएं हुईं. अक्टूबर में तो पत्थरबाजी की सिर्फ 119 घटनाएं हुईं.
जानकार मानते हैं कि पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी राज्य तथा केंद्र सरकार की कोशिश और सुरक्षाबलों की सख्ती के बाद ही आई है. ये इस बात से भी जाहिर होता है कि नवंबर के पहले 14 दिनों में पत्थरबाजी का आंकड़ा सिमट कर 49 रह गया था. तभी तो जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर इस बात पर गुस्सा जताया है कि जम्मू-कश्मीर के युवकों पर यह आरोप लगाना गलत है कि वे 500-1000 रुपयों के नोटों के लिए पत्थर मारते रहे हैं.
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