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This Article is From Feb 17, 2021

कोरोना के नए स्ट्रेन सामने आने के बाद विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए नई SOP, 22 फरवरी की रात 12 बजे से लागू

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किए हैं. नई SOP 22 फरवरी की रात 11:59 बजे से लागू होगी.

कोरोना के नए स्ट्रेन सामने आने के बाद विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए नई SOP, 22 फरवरी की रात 12 बजे से लागू
कोरोना का UK स्ट्रेन 86 देशों में फैल चुका है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी किए हैं. देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के तीन स्ट्रेन (UK, साउथ अफ्रीका और ब्राजील) सामने आ चुके हैं. जिसके बाद नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी किए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि इन तीनों देशों के कोरोना स्ट्रेन में फैलने की क्षमता ज्यादा है. UK स्ट्रेन- 86, साउथ अफ्रीका स्ट्रेन- 44 और ब्राजील स्ट्रेन- 15 देशों में फैल चुका है. नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर 22 फरवरी की रात 11:59 बजे से लागू होंगे.

सभी अंतरराष्ट्रीय यात्री (यूनाइटेड किंगडम, यूरोप और मिडल ईस्ट से शुरू होने वाली फ्लाइट को छोड़कर) के लिए प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं है. ऐसे यात्रियों को पहले की ही तरह 72 घंटे पहले कराए गए कोरोना टेस्ट की नेगेटिव RT-PCR रिपोर्ट एयर सुविधा पोर्टल पर अपलोड करनी होगी और साथ में लेकर भी आनी होगी. ऐसे यात्रियों को टेस्ट रिपोर्ट में छूट केवल तभी दी जाएगी जब उनके यहां कोई मृत्यु जैसी इमरजेंसी हो जाए. सीपोर्ट और लैंडपोर्ट पर आने वाले यात्रियों के लिए भी यही प्रोटोकॉल लागू होंगे. यूनाइटेड किंगडम, यूरोप और मिडिल इससे आने वाली या टट्रांसिट होने वाली फ्लाइट के जरिए आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म में पिछले 14 दिन की ट्रैवल हिस्ट्री देना अनिवार्य होगा.

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ऐसे सभी यात्री 72 घंटे पहले की अपनी नेगेटिव RT-PCR रिपोर्ट अपलोड भी करेंगे और साथ भी लेकर आएंगे. इसके अलावा ऐसे सभी यात्री जब भारत के एयरपोर्ट पर उतरेंगे तो उनको मॉलिक्यूलर टेस्ट करवाना अनिवार्य होगा और इसका खर्चा भी यात्री ही उठाएंगे. ऐसे सभी यात्रियों को फ्लाइट में अलग चिन्हित जगह पर बैठाया जाएगा (पिछले 14 दिन की ट्रैवल हिस्ट्री के आधार पर), जिससे इनके साथ किए जाने वाले प्रोटोकॉल पूरे करने में आसानी रहे. मॉलिक्यूलर टेस्ट कराने और नेगेटिव आने की प्रक्रिया में 6-8 घंटे लग सकते हैं इसलिए एयरलाइन को चाहिए कि वह यात्री को पहले ही भारतीय एयरपोर्ट पर लगने वाले इतने ट्रांसिट समय की जानकारी यात्री को दें.

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यूके, ब्राजील और साउथ अफ्रीका से आने वाले यात्रियों को मॉलिक्यूलर टेस्ट में नेगेटिव आने वाले यात्रियों को भारतीय एयरपोर्ट से कनेक्टिंग फ्लाइट लेने की इजाजत होगी. ऐसे यात्रियों को 7 घर मे क्वारन्टीन रहने की सलाह दी जाएगी. 7 दिन के बाद ऐसे यात्रियों का फिर से टेस्ट होगा और अगर उस टेस्ट में नेगेटिव आए तो क्वारन्टीन से मुक्त होंगे लेकिन अगले 7 दिन अपने स्वास्थ्य को मॉनिटर करना होगा. भारतीय एयरपोर्ट पर जो मौजूदा यूके ब्राजील और साउथ अफ्रीका से आए यात्री हैं वो अपना सैंपल देकर एयरपोर्ट से निकल सकते हैं लेकिन राज्य की अथॉरिटी या एजेंसी उनके संपर्क में रहेगी. राज्य की अथॉरिटी ऐसे यात्रियों की रिपोर्ट कलेक्ट करके उनको सूचित करेगी.

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रिपोर्ट नेगेटिव आने पर 7 दिन के लिए ऐसे यात्री होम कोरेंटिन रहेंगे और राज्य की अथॉरिटी उनके स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करेगी. 7 दिन के बाद ऐसे यात्रियों का फिर से टेस्ट होगा और नेगेटिव आने पर वह कोरेंटिन से मुक्त हो सकते हैं लेकिन स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करनी होगी. ब्राजील, साउथ अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम से आने वाले यात्री अगर पॉजिटिव पाए जाते हैं, चाहे एयरपोर्ट में हो या फिर होम कोरेंटिन में या फिर उनके कांटेक्ट पॉजिटिव हो जाते हैं तो उनको इंस्टीट्यूशनल आइसोलेशन फैसिलिटी में अलग से आइसोलेट किया जाएगा और उनके सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जाएंगे.

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