छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की गैर-राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे। हालांकि इस फैसले पर राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने ऐतराज जताया है।
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के विशेष सचिव डीडी सिंह ने बुधवार को को बताया कि राज्य शासन ने अविभाजित मध्यप्रदेश के उस आदेश को शिथिल कर दिया है जिसमें राज्य के अधिकारी और कर्मचारी आरएसएस के किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सकते थे।
सिंह ने बताया कि अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान मध्यप्रदेश शासन ने राज्य के सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद मध्यप्रदेश के नियम स्वत: यहां लागू हो रहे थे इसलिए छत्तीसगढ़ में भी यह प्रतिबंध जारी रहा। अब राज्य शासन ने इस नियम को शिथिल कर दिया है। मध्यप्रदेश ने कुछ वर्ष पहले ही इस नियम को शिथिल कर दिया था।
उन्होंने बताया कि राज्य के अधिकारी और कर्मचारी अब आरएसएस के गैर राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे। हालंकि अधिकारी कर्मचारियों के राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने पर अभी भी प्रतिबंध है।
इधर राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर ऐतराज जताते हुए कहा है कि इससे सरकार और राजनीतिक दल की विभाजन रेखा समाप्त हो जाएगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता टीएस सिंहदेव ने कहा कि आरएसएस स्वयं सेवी संगठन होने का दावा करता है लेकिन देश में सभी को इस बात की जानकारी है कि भारतीय जनता पार्टी संगठन का संचालन पिछले दरवाजे से संघ ही करता है। ऐसे में इस संगठन से शासकीय कर्मचारियों के जुड़ने से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर आघात पहुंचेगा।
सिंहदेव ने कहा है कि यह कदम असंवैधानिक है तथा देश की संविधान की मूलभावना को ठेस पहुंचाने वाला है।
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