वीडियो शूट मामला : भगवंत मान की मुश्किलें बढ़ीं, 9 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन

वीडियो शूट मामला : भगवंत मान की मुश्किलें बढ़ीं, 9 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन

भगवंत मान (फाइल फोटो)

खास बातें

  • 9 सदस्यीय जांच समिति गठित करने का फैसला किया गया
  • भगवंत मान ने अपने फेसबुक वॉल से यह वीडियो हटा दिया था
  • फैसला आने तक उन्हें सदन की कार्यवाही से दूर रहने को कहा गया
नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। संसद की संवेदनशील जगहों का वीडियो सोशल मीडिया पर डालने के मामले में लोकसभा स्पीकर ने जांच कमेटी बना दी है। उन्होंने यह फैसला अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं साथ सलाह के बाद किया है।

लोकसभा स्पीकर ने भगवंत मान के कारनामे को संसद की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना है और इसकी जांच के लिए किरीट सोमैय्या की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय कमेटी बना दी है। कमेटी को 3 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट देनी है जिसे सदन में रखा जाएगा। तब तक मान को संसदीय कार्यवाही में शामिल न होने की सलाह दी गई है।

संसद भवन में मान के जाने और टिप्पणी वाले वीडियो से संसद के दोनों सदनों में हंगामा होने पर पंजाब से सांसद मान ने कहा कि उन्होंने अपने फेसबुक वाल से यह वीडियो हटा दिया था। संसद भवन का वीडियो बनाए जाने के विवाद को लेकर भगवंत मान जहां गुरुवार शाम को अपनी बात पर अड़े हुए थे और कह रहे थे कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। वहीं आज उन्होंने कहा कि मैं केवल मुद्दा उठाने की प्रक्रिया आम लोगों को बता रहा था।

एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए भगवंत मान ने कहा था कि मेरे क्षेत्र के लोग मुझे कहते हैं कि आप हमारा मुद्दा नहीं उठाते तो मैं उनको बताता था कि संसद में मुद्दा लकी ड्रॉ से तय होता। जैसे कल 160 सांसदों से अपने सवाल शून्य काल के लिए जमा कराये तो केवल 20 सांसद ही अपने सवाल उठा पाएंगे, लेकिन लोग मानते नहीं थे और कहते थे कि संसद में कैसा लकी ड्रॉ?" मान ने कहा कि उनका मकसद संसद की सिक्योरिटी दिखाना या उसको खतरे में डालना नहीं था।

वहीं मान का बचाव करते हुए आप ने कहा था कि वीडियो सुरक्षा उल्लंघन नहीं है और उसने भाजपा पर गुजरात में दलितों पर हमले के मुद्दे से ध्यान बंटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

भगवंत मान की हरकत संसद की सुरक्षा के लिए वाकई ख़तरनाक है। गृह मंत्रालय इस बात का संज्ञान ले चुका है और मंत्रालय का कहना है कि अब  संसद की सुरक्षा का पूरा ताना-बाना बदलना होगा। दरअसल 13 दिसंबर 2001 को संसद के गेट नम्बर एक से सफ़ेद ऐम्बैसडर कार जिसने संसद का स्टिकर लगा हुआ था, वो दाख़िल हुई थी लेकिन अंदर पहुंचने के बाद संसद के भीतर कैसे घुसना है इस बारे में आतंकवादियों को कोई जानकारी नहीं थी इसीलिए वो अंदर दाख़िल नहीं हो पाए। लेकिन मान के वीडीयो के बाद ये जानकारी आम हो गई है। यही नहीं, बिल्डिंग के अंदर का ले आउट क्या है ये बात भी कुछ हद तक लोगों को पता चल गई है। इसी बात को लेकर सांसदों में चिंता है।
(इनपुट्स एजेंसी से भी)


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